इन्सान की कहानी | Insan Ki Kahani
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.21 MB
कुल पष्ठ :
182
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहुला अध्याय सृष्टि का आारम्भ कर कहते हैं कि एक ऐसा भी जमाना था जब कहीं कु नहीं था या कुछ था जिसके बारे में हम कुछ नहीं जानते । इसे कोन जानता है? कौन इसके बारे में कुछ बता सकता है? इसकी उत्पत्ति कैसे हुई ? कौन जानता है यद्द कहाँ से उपजी है? यह सष्टि कहाँ से आई ? ऋग्वेद के कवि ने रष्टि-स्तोत्र में यही प्रश्न पृछे थे । ओर जब वह इस पहेली को हल करने में असमर्थ रहा तो उसने सृष्रि के आरम्भिक रचना-क्रम के बारे में झलुमान लगाने की कोशिश की । उसने सोचा कि न तो चहद स्थिति ऐसी थी कि जिसमें किसी चीज़ का स्तित्व ही न रददा दो थर न किसी चीज़ का श्रस्तित्व दी था। न तो वायु थी श्र न उसके परे का झाकाश | यह गति- वबक्र कैसा और क्या था ? और कहाँ था ? कौन इसे प्रेरित कर. रहा था ? क्या वद्दाँ जल और अथाद्द खाइयाँ थीं ? झाज भी हमें उस अतीतकालीन ऋषि से षिक कुछ मालूम नहीं है । ससिक कि छाब भी हसारे मस्तिष्क में सिफ सवाल उठ सकते हैं और जवाब के लिए अटकलबाजी दही हमारे काम आ सकती है । चूँ कि झंव विज्ञान हमारा सहायक है इसलिए हम ञाज शायद कुछ अधिक सही अनुमान लगा सकते हैं । किन्तु हमारा सारा ज्ञान उसी समय से आरम्भ होता दै जब इन्तान प्रथ्वी पर ाया श्र उसने सोचना शुरू किया । इन्सान के थाने के पहले कुछ भी मालूम नहीं था क्योंकि वी जों के बारे में ज्ञान प्राप्त करने चाला कोई था ही नहीं । ६
User Reviews
No Reviews | Add Yours...