समीकरण मीमांसा | Samikaran Mimansa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
33 MB
कुल पष्ठ :
453
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
हे । जिनमें मुख्यतः समीकरण में श्रव्यक्त के धनणेमान श्रौर -
असम्भव माने को सीमांसा और चिन्ह रीति हैं (४ वाँ प्रक्रम `
देखो ) डेझाट ने दा वगगंसमीकरण के गशुणनफलरूप में एक चतु-
घोत समाऋरण के ले आने को युक्ति को भी दिखलायां है। '
यद्यपि यह युक्ति फेरारी के प्रकार से भी निकल आती है तथापि
व्यवहार में उपयोगी है (१२४ वाँ प्रक्रम रेखा) ।
सन् १७७० ई० में आयल्लर ( (5००7 ) ने एक वीजगखित
बना कर प्रकाश क्रिया । उसमें चतुधोत रूसीक'ण तोड़ने के
लिये उत्तम प्रकार दिखलाया गया है ओर साथ ही साथ सिद्ध -
किया गया है कि चतुधोत समीकरण का तोड़ना एर घन
समीकरण के आधोन है अथोत् यदे उस्र घनसमी करण के अत्यक्त- .
मान विदित दो जाय तो चतुधोत समीकरण के अव्यक्तमान भी
विदित होः सकते है (१२२ वाँ प्रकम देखो) । डेट ` श्रोर आयलर
के प्रकारों के देख कर बहुतों को इच्छा हुई कि चतुधोत से ऊपर
के घातवाते समाहरण के तोड़ने का प्रकार निकाल । इसके लिये
अठारइवीं शताठिद तक प्रयत्न किया गया पर सब निष्फत्न हुआ | `
पश्चात् वाग्डरमाण्डे (৬৪006000939) ओर ভরাসাঁওহ 1 1:78-..
72025) ने भी क्रम से सन् १७७० और ६७७१ इ० में इस विषय |
पर अत्यन्त उपयोगी बातों के पने अपने लेखों में प्रकाश चषि :
अन्त में आबेल (8००!)ओऔर बान्टसेल ( ४५४००८८6] ) ने सिद्ध
किए कि चतुघोत से अधिक घातवाले समीकरणों के तोड़ने की
साधारण विधि बीजगणित की युक्ति से असम्भव है ( 016 5०प- .
01019 1001 00851015 ४ 18416515 210109, ০0৩৮৪.
(০ম [07451590065 -১501১9090100 4১7৮ 510 देशो)
- तत्पश्चात् यूरप के अनेक विद्वान अनेक नये नये सिद्धान्तो ~
ऊ! उत्पन्न किए और आज़ तक करते ही जाते हैं जिनके कारण
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