छाया दर्शन | Chaya Darshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
239
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पंडित शिव सही चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के सागर जिले के देवरी नामक गांव में हुआ था | इन्होने कई पुस्तकें लिखीं किन्तु समय के साथ साथ उनमें से कुछ विलुप्त हो गयीं | ये एक अमीर घराने से थे और बचपन से ही कला में रूचि रखते थे |
इनके वंशज आज जबलपुर जिले में रहते हैं और शायद ये भी नहीं जानते कि उनके दादाजी एक अच्छे और प्रसिद्ध लेखक थे | इनके पौत्र डॉ. प्रियांक चतुर्वेदी HIG 5 शिवनगर दमोहनाका जबलपुर में निवास करते हैं |
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)खछायां-दर्शन-
और भी छिखा है,--
तुम्हारे स्वामी जो इस जगद्द निवास फरते हैं, वे शिल्पनैषुण्यमें असाधारण
'है, छोग कहते हैं कि के भी एक विच हैं। ”
तेरदवीं शताब्दीमें विच अथवा डाइनोंके नाश करनेकी प्रथा सारे द्वी यूरोपमें
प्रचलित थीं, और पन्दरहवी शताब्दीके अंतिम भागमें तो उसने ऐसी उप्र मूर्चि घारण
की थी कि उसके स्मरणमात्रसे मनुष्योंका हृदय कौप उठता है और मैँदसे सहसा
“हे कछ्णासागर ” “हे जगदीश्वर ” आदि शब्द निकल पढ़ते हैं। रोमके पोप
दो उस समय यूरोपके शासनकत्तां और ईसाई-जगतके धमंशुरु थे । सन् १४८४
डूं० में आठवें इनोसेण्ट नामके निष्टुर-हदय पोपने एक आश्ञापत्र निकारकर सवत्र दी
घोषित कर दिया था कि डाइन अथवा डाकिनीको जयों ही पाओ, त्यों द्वी पकड़
लो और जला दो । इसके बाद छंठ्े अलकज्जेंडरने पोपक्रे आसनपर बैठकर पूर्वोक्त
आ्ञापत्रके समर्थनमें एक और नई आज्ञा प्रचारित कर दी और सन् १५२१ में दसवें
सियो ओर सन् १५२२ में छठे एड्रियानने पूत्रोक्त आज्ञापत्रोंका पालन अधिक
हइद़ताके साथ करनेका श्रादेश जारी कर दिया । +
# এ শুট 89६6६ ४४४४ 10०0893 96 {8 &@ 2856 ०97 ०१ ~.
की०ए 889 16 18 5 11५0. ` -5०2४ & ता
+ 1009 3891050708019£61 ( 18101) 889 ) 01 ४06 ध1700७601॥
98208005009 80100858500 60৪ 16০1) 87० 07१670वं ६0 ७७ 0४४७7 ३
एणा [ फरक ०0६ णयता पर सन्न ००४घ7ए 605৮ 085 01০9501088
8981786 क {1010780६ 88857090 6915 10086 १९००३ {ग का. 19 1484
००००९०६ प्रा 18७०१ & ०णे) 09००४६ ६४० 20051875085 ६० ४७ सहा
199६ पा 86४70010 0०५५ 50৫ 09018101706 00089 881155 ০01 113 61126?
ढ0वे ६09 (70० ०६ 9700960 5६ 17 ६10 (४81 01116 01०0009 ७६३ ४९6५-
पृ॥वशेज़ 1611 3097 19 010 एा811058 34६1060&7प0. ( यंब्रशाण०7 0৫ আ]6-
40098 ). 18101) আ৪3 (93594 8০০] 8169২ 25 6180 00108 860. 1059 ৮৪1]
-0 1०90090६ 85 {०८०० ४ ४४५ 8००९७३७{र6 एणौउ ০6 4১19887006২
ए ( 1494), 1.9० ञ् ( 1591 ), 8০৫ 4 व्ण फा ( 1522 ). 0८४४७
9२५611६ 0६ १०७ ॥077०73, एव (०10 ए०पे तप्रतंघडु ৯০ 027601195 8100
8 1617, 116107ए ह₹89 प३ 167 765070., ए७ ६7० (06 ६18४ 500 ६.
0893 6७79 0५७१ 8६ 69६९8 {ए ६1166 फन, ६0०५६ 16 १082
१४
User Reviews
No Reviews | Add Yours...