महाकवि हरिऔध | Mahakavi Hariaudh

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Mahakavi Hariaudh by गिरिजादत्त शुक्ल 'गिरीश' - Girijadatt Shukl 'Girish'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूचो विषय प्रथम खण्ड हरिओौध की लोकप्रियत। हरिओध के स्वभाव की विशेषताएं हरिओऔध के व्यक्तित्य पर वाह्य प्रभाव द्वितीय खण्ड हरिओध की श्रीराधाकृष्ण-विष्रक प्रारम्भिक घारणाएँ उपन्यासकार के रूप में हरिओघ »_ ~ रस करस मे हरिभौध की नारी-सौन्दय्य॑-कल्पना रस-करस मे हरिभौभ की काव्य-करा के साधन तृतीय खण्ड प्रियप्रवास की भाषा प्रियप्रवास में इेश्वर-भावना प्रियप्रवास के श्रीकृष्ण (ध्रयप्रवास में नारी-चित्न (৪ मे | कर री प्रियप्रवास मे प्रकृति का লতা प्रियप्रवास का संदेश . >< प्रियप्रवास मे हरिओध की काव्य-कला के साधन प्रछ १-- २० २१ -- ४ ६ ७७-०७ ६ ७ ९ --- ९०» ९ १ - ११५५ ११६-१३३ १२३४ -- १२९ १४२ -- १५१ १५२ -- १७५५ १७६९- १८९ १९० - २१३ २१४०० २२३ २२४- २३४ २३५ २४०




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