बिंदूत सिंधू | Bindut Sindhu
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
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स्वामी सत्यभक्त - Swami Satyabhakt
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| व प अ 2 ६ 1
4.
[98
मोठ ताप अहि या उदरचा | याच्या त्रासते आप्या
द्व्या एका दजात्याने आपी ५।७ हजार रुपयांची छायब्रेरी
एका रदीवाल्याला ५।७ सप्यात पुकरुन टाकली,
असँ कांश्च?
एके दिवशी है उंदीर लायअ्रीच्या कपाटंत रिष्ठन पुप्तके
बुरतड़ू लागठेत, समनी पादिक तर अधारांत डंदीर कांढी दिसके
माहीत, मत! आणला व्यान] कंदील) उदीर् गेठे पन, तेष्डां स्म॑नी
म्हृठके कि जी पुस्तकें अधागंत उदरोनाहि दाखवृ शकत नाहीत, ती.
संसताराच्या या घनदाट अरण्यांत कल्याणाचा मी काय दालवणार £
वापर, फार प्रताप अदि या उदरांचा |
हणूनच तर गणवतीनी याद्या वाहन केक भद.
জগ নান +
हणने जे गणेश अहि--गणांचा ईच भद्वि-अधौत पटाद
अहि, लनी उदरी पवौ न कस्तां ह्मांच्याबर स्थार ह्वून साना
आपह व्येयमार्यीवर पावायल। खव पाहिजे,
नवें-जु्नें.
एक सब्जन-आमचा धरम पांच हजार वषीचां जुना आहे.
दुसरे स०-आमचा এম লং নান ভাত वर्षाचा आदे जुना
জাই,
तिसरे स०-आमचा तर पांच कोटी वर्षोचा আই,
ये सकि, भपण दुणाच। घप्र सर्वात छुना समनतां?
मी०-जो सर्वात वाईट अछेढ ते धरम सर्वत छुना समजला
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