सत्यामृत मानव धर्म शास्त्र | Satyamrit Manav Dharm Shastra

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Satyamrit Manav Dharm Shastra by स्वामी सत्यभक्त - Swami Satyabhakt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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च्रिकंड न्यायदेव [ उ'कोलीमा ] विवेक देव के सुनीम । छतज्ञतादेवी [ भचजेवीजीमी ] न्यायदेव की पत्नी समन्वय देव [ शत्तोजीमा 1 विवेक देव के पुत्र । चिन्तन देव [ ईंकोजीमा विवेक देव और सर- स्वदी बची के पुत्र । ˆ सन्तोष दव [ तुशो जीमा ] संयम का मित्र । बिरक्ति देवी [ सुर्मिचोजीमी | संयमदेवभी सेविका प्रयोगदेव | निंठोजीमा ] बिज्ञात देवका सेवक श्रमदेव. [ शिद्दो्ठीमा | उद्योग देवक मित्र | शूक्वार देव [ शिंजोजीमा ] कामदेव श्र कला- देवी का सेवक । श्रतुमवे देव [इंफिेजीमा ] सरस्वती वालार के बढ़े सुतीम । विद्यादेवी [ सानोजीमी ] अलुभवदेवकी पतनी दैषीदेवी [ पि श और कशादेवी सखी | रतिदेवी [कमीजीमी ] कामदेद की सेविका ! यलदेव [ धटोजीमा | कः विज्ञान उद्योगदेव का मित्र । दैवदेव [ ूडोजीमां ] यदेव का मुनीम | सिक्ञासादेवौ [ जानिशोजीमी ] सरसी देवी की द्वारपालिका । बाणी [ इकोऽीमी ] सर्वची देवीकी ढासी। लिपिदेवी [ लिरंबोजीमी ] ५ ही दविप्गुता देवी [ फीशोलीमी ] तपस्ता रौर जमा दि थ प ॥ सफलता देवी [ फुनोलीपी ] तपस्या देवीकी पुत्री पैवेव [ घिरोजीमा ] तपस्ता देवी का माई आरादेव [ आशोजीमी ] पैयंदेव की पत्नी । साहसदेत्र [ ठमोलीमा ] शक्तिदेवी का भाई । दैभब वेद [ भूलोजीसा ] लइमी देवी का भाई । चुरा देवी ( चन्तोजीमी ) कलादेवीवी सखी । सेवादेवी . (सिवोजीमी) प आदि की सो । बिनयदेव ( नायोजीमा ) भक्ति 'और तपस्या- देती के दे माके समान मित्र! आदर देवं ( मोगोलीम्‌ ) मलिदेवी के छोटे माई ॐ ससान सेब 1 १ ध्यातदेव . ( मुन्नोजीमा ) सत्यज्लोक का सारधि गुरुदेव छुटुस्व काफी पिशाल है. अधात्रत देव (सेरिडोजीमा ) सत्यवचा दैव (सत्कोजीमा) ईमानदेद [ शु'कोजीमा ] ये तीन संयमदेवके पुत्र हैं । सद्ोग देव ( सुजूशोजीमा ) सदजेनदेव ( सुझनों आीसा ) निरतिप्रहरव ( नेगु- शोजीमा ; निरतिभोग देव ( नेमेजुशोजीमा ) थे चां संयम देवके नाती है। दानदेव [ दानोजीमा ] निाहिग्रह देव का मित्र और भक्ति श्रादि देवियों का सेवक है। इस कार चोर भी सैकड़ो देव इस गुणदेव छुटम्ब में हैं। ऊपर इनके मुख्य मुख्य रिषे वताते रये हैं पर इसके सिवांग्र थी इसमें अनेक रिते ई । जेसे विवेकरेव, मगवान भगवती चर सक्षि ॐ वाद सबके शासक है । रर वहते के गुर मी हैं। जव कोई देव विवेक के अर छुश मे मह रहता तव बह एक तरह से कुव हो ५ इणेव या इदेव (र्नीम ) हुसुंशुदूब गुणएवेवो फे विरोधी प्रतिखद् दि हैं । ये श्रालन्द के मं म वाधा दते दै । इनकी संख्या भी विशाल है। पर कमी कभी ये वितरेक की करा में आपेठते हैं तब इनके द्वारा कुछ काम चआनन्दय्रधक दोजाता है। जैसे शमि- मान यदि विवेक की का में आनैँठे तो वह असंयम का विशेष करने लगता है। 'मैं एस उच्च कुत्त का व्यक्ति एसा नीच काम क्यो कह ” इत्यादि स्थानो से अमिन पाप का झतिस्पद्धी दोजाता है। दि श्रौ मोह फे ब मे होक८भी मी कभी मौ इच्छा काम कर जाता हैं। इसप्रकार दुगण देवों को भी से खर के दर में स्थान मिललाता है । पर साधारणत्त दशा देव आनन्द के पथ मेरोड़े ही ब्टफातेहैं इनसे बचने के लिये संप मे इने नामाह का परिचय दिया लाता है यो विकोश दुग्‌ देवी का परिचय गुएदेवों के विरेव का विचार काने से सह प शी सक मे शासका है|




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