द्रव्य - संग्रह | Dravya - Sangrah

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Dravya - Sangrah  by दरबारी लाल कोठिया - Darbarilal Kothia

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रस्तावना ग्रन्थ ओर ग्रन्थकार १. ग्रन्थ ; (क) द्रव्यसं्रह प्रस्तुत मूल ग्रन्थ ्रभ्यसम्रहः है भोर उसके कर्ता भ्रौ नेमिचन्द्र मुनि है । इसमे उन्होने जनदर्शनमेः मान्य छह द्रव्योका सङलन तथा १, दब्वसगहमिण त , द ~ ,.. णेमिचदमुणिणा भणियं जं ॥ नमिचन्द्रमूनि, दरव्यसम्रह गा० ५८। २. मारतीय दशनम बेशेषिक भोर मीमांसक दोनो दशन पदाथ तथा द्र्य दोनोको मानते हे । पर उनके अभिमत पदाथ और ठब्य तथा नकी सख्या सैन दुशनके पदार्थो ओर दरन्योमे बिलकुल भिन्न हे। इसी प्रकार न्‍्यायदशनमे स्वीकृत केवल पदाथ और सांख्यदर्शनमे मान्य केवर तच्च भौर उनकी सख्या भी जैन दशनके पदार्थो तथा तच्वोसे सर्वथा अलग ह । बौद्धद्शयनके चार आयस्य दुःख, समुद्य, माग जौर निरोध यद्यपि जनदशनके आस्रव, बन्ध, सवर-निजरा ओर मोक्ष तत्वो- का स्मरण दिखाते है, पर वे भी भिन्‍न ही है और सख्या भी भिन्‍न है । वेदान्तद्शनमे केवल एक आव्मतत्त्व ही ज्ञातब्य और उपादेय हें' तथा वही एकमान्र अद्वेत हे। चार्वाकदशनमे थिवी, जल, अग्नि और वायु ये चार भूततत्त्व है ओर जिनके समुदायसे चेतन्यकी उत्पत्ति होती है । चार्वाकदशनके ये चार भुततच्व भो जैन दशनके सात तच्छे भिन्‍न है। इन दशनोंके पदार्थों, द्रव्यों और तस्वोंका उल्लेख अगले पाद-टिप्पणमें किया गया है, जो अवश्य जानने योग्य हैं ।




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