भारतीय संस्क्रति | Bharatiya Sanskriti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
383
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(० भारतीय संस्कृति
या छोटी हिमालय-श्यज्ञला ओर बाहरी या उपत्यका-श्यज्ञला कहते हं,
ओर जिन्हें असली हिमालय की निचली सीडियाँ कहना चाहिए । भीतरी
शड्टला का नमूना काश्मीर को पीरपचचाल-श्यड्नला, कांगड़ा-कुल्लू की
धोलाधार आदि हं । उपत्यका-श्ज्लला का अच्छा नमूना शिवालक
पहाड़ियाँ हं । यह हिमालय कम-से-कम १४०० मील लम्बाई में है
ओर लगभग १६००० फुट ऊँचाई में है । इसकी चोटियाँ २९००० से
२६००० फुट ऊँची हं । इस पर्वतमाला में से कहीं-कहीं उत्तर की ओर
जाने का मार्ग भी हैं, जेंस गिलगिट से पामीर, लेह से तिब्बत आदि
जाने का रास्ता ।
भारतवपं के परिचमोत्तर मं भी हिन्दुकुश, सुलेमान आदि पवंत-
श्रेणियां हे ¦ इन्हीं में खबर, कुर॑ंम, बोलन आदि प्रसिद्ध घाटियाँ हें,
जिनके द्वारा कितने ही विदेशी व आक्रमणकारी भारत में आकर बसे
थे व उन्होंने यहाँ के राजनीतिक तथा सामाजिक जीब्नन में उथल-पुथल
मचाई थी । कहा जाता है क्ि ये घाटियाँ पहले नदियों थीं ।
पूर्व की ओर भी भारत घने जंगलों व नांगा, पतकुई, आराकान
आदि पव॑तों के कारण दुर्गंम है, अतएवं सुरक्षित ह। साधारण आवा-
गमन के लिए इनमें मार्ग अवश्य हैं, किन्तु इनसे बड़ी-बड़ी सेनाएँ नहीं
आ सकतीं । यही कारण है कि इस दिशा से भारत पर कोई भी आक्र-
मण नहीं हुश्रा।
दक्षिण में पूर्व व पश्चिम की ओर मझुकता हुआ समुद्र हैं। ठीक
दक्षिण में हिन्द महासागर लहराता है, तथा पूर्व व पश्चिम में क्रमशः
बंगाल की खाड़ी व अरब का समुद्र है। इस प्रकार दक्षिण भारत भौगो-
लिक दृष्टि से प्रायःद्वीप कहा जा सकता है । यह भाग भी प्राचीन काल
में विदेशिय/ के आक्रमणों से सुरक्षित ही था। किन्तु व्यापार आदि
के लिए विदेशियों का नोका द्वारा आना-जाना प्राचीन काल से ही जारी
था। समुद्र के किनारे रहने वाले भारतीय अत्यन्त ही प्राचीन काल, से
दूर-दूर के देशों से व्यापार करते थे ।
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