आचार्य कौटिल्य की सामाजिक एवम राजनीतिक अवधारणा | Acharaya Kautalaya Ki Samajic Yom Rajnitik Awadharana

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Acharaya Kautalaya Ki Samajic Yom Rajnitik Awadharana by मनीषा - Manisha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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পাও .. (सामाजिक संस्चना का स्वरूप) अर्थ एवं अर्थशास्त्र की महत्ता, अर्थशास्त्र का स्वरूप एवं विषय वस्तु, अर्थशास्त्र के प्राचीन सूत्र कोटित्य का समय, प्राचीन भारत की सामाजिक परिकल्पना, वर्ण व्यवस्था, वर्ण शब्द का अभिप्राय, वर्णों को वेदकालिक अवधारणा, उत्तरकालिक संकेत, ब्राह्मण की श्रेष्ठता, ब्राह्मणों के कर्तव्य, यज्ञ, दान, क्षत्रिय, वैश्य तथा उसके कर्म, शूद्र और शितया आश्रमो के प्रारम्भिक संकेत, आश्रमों का अभिप्राय एवं संख्या, ; आश्रम और उनके कर्तव्य रूप धर्म, कौटिल्य एवं आश्रम व्यवस्था, परिवार व्यवस्था, पिता, पुत्र, पत्नी के. अधिकार और कर्तव्य, विवाह-सम्बन्ध, स्त्री-धन, स्त्री तथा पुरुषों को पुनर्विवाह का अधिकार, पति-पत्नी .. का अतिचार और उसका प्रतिषेध, विद्या विचार, साधु स्वभावी की বিন , समीक्षा] 3,150) दितीय अध्याय ` (स्माजिक् व्यवहार तथा आर्थिक दृष्टि) রি. दास तथा दास का स्वरूप, पैतृक दाय का स्वरूप, पुत्रों के क्रम से उत्तराधिकार, ऋण का लेन-देन, । धरोहर सम्बन्धी नियम्‌, दास तथा श्रमिक का स्वरूप, मजदूरी तथा साझेदारी के नियम, क्रय-विक्रय एवं अग्रिम . का नियम, ভুমি और उसका स्वरूप, परिवहन व्यवस्था, व्यापार का स्वरूप, शित्प कार्य तथा शिल्पियोंका ` |) व्यवहार, व्यय और लाभ का विचार, व्यापारी और प्रजा, समीक्षा |




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