हिंदी निबंधमाला भाग २ | Hindi Nibandhmala Part-2

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Hindi Nibandhmala Part-2 by श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इक़्लेण्ड में भारतीय आध्यात्मिक विचारों का प्रभाव ४७२ के आगे अपने एक स्वदेशवाघी का नाम याद दिलाना चाहता हूँ। इन्होंने इड्गलेण्ड ओर अमेरिका आदि देशों को देखा है, उनके ऊपर मेरा बडा विश्वास और भरोसा है, इन्हें में विशेष श्रद्धा और प्रेम की दृष्टि से देखता हूँ, आध्यात्मिक राज्य में ये बहुत आगे बढ़े हुए हैं तथा महामना व्यक्ति हैं, ये बड़ी दृढ़ता के साथ परन्तु बिना शोर-गुल किए हमारे देश के कल्याण के लिए कार्य कर रहे ই, জাজ, यदि उन्हें किसी ओौर जगह कोई विशेष काम न होता, तो वे अवश्य ही इसी सभा में उप- स्थित होते --- यहाँ पर मेरा मतलब श्रीयुत मोदिनी मोदन चघ्नेपाध्याय से है| इन लोगों के अतिरिक्त अब इज्जलेण्ड ने भिस मार्गरेट नोबल को उपहार- स्वरूप भेजा है--- इनसे हम बहुत कुछ आशा रखते हैं। बस और अधिक बातें न कर मैं आपके साथ मिस मागरेट नोबल का पर्चिय करा देता हूँ । आप्‌ लोग अव इनकी वक्तता सुनेंगे। इसके बाद सिस्टर निवेदिता ने अपनी बड़ी मर्मस्प्शिनी तथा सार-गर्भ वक्तता दी। उनकी वक्तृता समाप्त होने पर स्वामीजी फिर खड़े हुए और बोले;--- मेँ अब केवल दो-चार बातें और आपसे कहना चाहता र| अमी अभी हमे यह माम हुआ कि हम भारतवासी भी कुछ काम कर सकते हैं। भारतवासियों में हम बगाली लोग भले ही इस बात को हँसी में उड़ा दे सकते हैं, पर में वेसा नहीं करता | आप लोगों के अन्दर एक अदम्य उत्साह, एक अदम्य चेष्टा जाग्रत कर देना ही हमारा जीवनत्रत है। तुम अद्वेतवादी हो, विरिष्टदरैतवादी हो अथवा त॒म द्वैतवादी ही क्‍यों न हो, इससे कुछ आता- जाता नहीं । परन्तु एक बात की ओर जिसे दु्ोग्यवश हम ভীম हमेशा भूल जाया करते हैं, इस समय में आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ। वह यही कि “ है मानव ! अपने आप पर विश्वास रखो।” आत्मविश्वास- केवल इसी एक उपाय से हम ईश्वर के विश्वास-परा- सम्पन्न हीऽ । यण बन सकते हैं। ठुम चाहे अद्धेतवादी दो या




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