बज्रांगबली हनुमान | Bajrangvali Hanumaan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
178
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२ १४:
वहाँ उन्हें विनम्नता, निरभिमानता, दीनता, वाणी की
मनोहारिता आदि सत्त्वगुणों से विभूषित भी किया गया है)
इस प्रकार भारतीय महाकाव्यों में रामायण, महाभारत के
अतिरिक्त पदुमपुराण, नारदपुराण, शिवपुराण, ब्रह्माण्डपुराण
तथा रामचरितमानस में हनुमान के चारु चरित्न का सुन्दर
निरूपण किया गया है ।
जैन धमं ग्रन्थ पद्मपुराण के आधार भूमि पर लिखा गया
কৰি ब्रह्मराय जी का 'बच्ाङ्खवली हनुमान , एकं सुन्दर चरित
काव्य है। इसमें हनुमान वे. सम्पूर्ण विराट व्यक्तित्व को ही
नहीं उनकी उज्जवल वंश परम्परा और पूर्वजों की जीवन कथा
को भी विवेजित किया है। वे कुलीन वानरवंशी धीरोदात्त
नायक हैं। न्याय, नीति, धर्म, दर्शन के आख्याता और सुख
शान्ति के प्रदाता हँ । भापका वर, पराक्रम मौर तेज आश्चर्यं मयी
चटनाओं से पूणं है जौर चरित सर्वांग से ध्येय, शिक्षणीय तथा
अनुकरणीय है। उक्त भ्रन्थ वर्णनात्मक है । कथा इसकी पौराणिक
है और विभिन्न प्रकरणों में विभ्गजित है। कहीं कहीं-असम्बद्ध
घटनाओं का भी वर्णन है किन्तु अनेक वस्तुओं परिस्थितियों
और भावों के संक्षिप्त एवं स्वाभाविक वर्णन सहज ही सराहनीय
है । उक्त काव्यग्रन्थ में निरूपित प्रकृत-चित्नण और वैराग्य
प्रकरण बहुत सुन्दर बन पड़े हैं।
भाषा ब्रज है। ग्रन्थ में यूँ तो सभी रसों का सम्यक् निरूपण
हमा है, किन्तु वीर, शगार ओर शान्ति रस (भक्ति रस) की
प्रधानता है । परम्परा के अनुसार नगर, वन, प॑तत, वाटिका
ऋतु, विवाह, युद्ध, संयोग, वियोग आदि के उत्कृष्ट वर्णन और
हिमालय, महेन्द्रपुर तथा मानसरोवर आदि के मनोहारी दृश्य
अत्यधिक मोहक बन पड़ ह! इसका उद् श्य चतुर्वगं मे से जेन
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