जयोदय महाकाव्य | Jayoday Mahakavy

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : जयोदय महाकाव्य - Jayoday Mahakavy

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भूरामल शास्त्री - Bhuramal Shastri

Add Infomation AboutBhuramal Shastri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
विनत हूँ मैं महाकवि भूरामलजीके आश्चर्योत्पादक व्यक्तित्व प्रतिभाके प्रति। जिससे कि आज भी महाकविकी परम्पराका विकास हुआ ओर मसंस्कृत-साहित्यकी समृद्धिम अकल्पनीय घटना घटी । प्रस्तुत कृ तिपर प्रस्तावना रेखनके लिए डर भागीरथ जी त्रिपाठी “बागीश'' से निवेदन किया गया । जिसे उन्होने सहज स्वीकार कर प्रस्तावना लिखने की कृपा की । उनकी इस साहित्याभिरुरूचिय उपकृतहोता हुआ मैं उनके प्रति हृदयसे आभार व्यक्त करता हं डॉ० पन्‍नालालजी साहित्याचार्यका आभार किन शब्दोंमे व्यक्त करूँ; इसके लिए मुझमें न तो बुद्धि है और न हाब्द । कारण मुझे विवशतावश वुद्धावस्थामें भी उनसे इतना अधिक काम कराना पडा | जिसे उन्होंने बिना प्रतिवाद किये सहर्ष किया भी । उनके प्रति त्रिनश्न भावाङ्जलि अपि करते हूए कामना करता हं किं वे शतायुष्क हों । दीघं काल तक हम संभीका मागं प्रशस्त करते रहे । इसके प्रकारानमे अजमेर निवासी भी महेन्द्र कुमारजीका सहयोग भी स्मरणीय है, जिन्होंने योजनानुसार इसकी कुछ प्रतियाँ विद्वानों एबं ग्रन्थालयोंमें भेंट हेतु प्रकाशन-पूर्ष ही सुरक्षित करा दी। स्वच्छ एवं शुद्ध मुद्रण हेतु वर्द्धभान मुद्रणाउयके अधिकारों एवं सहयोगियों को भूल पाना मेरे लिए असम्भव है! उन्हें भी हादिक साधुवाद । और अन्‍्तमें ज्ञानोदय प्रकाशनकी गतिविधियोंके प्रेरणा- स्रोत परमपूज्य आचाय॑ श्री विद्यासागरजो महाराजके प्रति विनयाभिभूत हूं जिनके सुस्मरण एवं शुभाशीष्से हो इस कृतिके प्रकाशनका आदिसे अन्त तकका संबल प्राप्त हुआ । ज्ञानोदय प्रकाशन महाकवि भूरामलजीके इस महाकाव्यकों नेहरू जन्मशताब्दी वर्षमें प्रकाशितं कर अपनी भ्रकाठान श्ुखलामे संयुक्त होती इस अभिनव कडीको शिरोमणि उपलब्धि रूप मानता हुआ गौरवका सम्पादन[संवेदन कर रहा है । पिसनहारी, ४८२००३, ०४०४८९ राकेश जन




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now