जयोदय महाकाव्य | Jayoday Mahakavy

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Jayoday Mahakavy by भूरामल शास्त्री - Bhuramal Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विनत हूँ मैं महाकवि भूरामलजीके आश्चर्योत्पादक व्यक्तित्व प्रतिभाके प्रति। जिससे कि आज भी महाकविकी परम्पराका विकास हुआ ओर मसंस्कृत-साहित्यकी समृद्धिम अकल्पनीय घटना घटी । प्रस्तुत कृ तिपर प्रस्तावना रेखनके लिए डर भागीरथ जी त्रिपाठी “बागीश'' से निवेदन किया गया । जिसे उन्होने सहज स्वीकार कर प्रस्तावना लिखने की कृपा की । उनकी इस साहित्याभिरुरूचिय उपकृतहोता हुआ मैं उनके प्रति हृदयसे आभार व्यक्त करता हं डॉ० पन्‍नालालजी साहित्याचार्यका आभार किन शब्दोंमे व्यक्त करूँ; इसके लिए मुझमें न तो बुद्धि है और न हाब्द । कारण मुझे विवशतावश वुद्धावस्थामें भी उनसे इतना अधिक काम कराना पडा | जिसे उन्होंने बिना प्रतिवाद किये सहर्ष किया भी । उनके प्रति त्रिनश्न भावाङ्जलि अपि करते हूए कामना करता हं किं वे शतायुष्क हों । दीघं काल तक हम संभीका मागं प्रशस्त करते रहे । इसके प्रकारानमे अजमेर निवासी भी महेन्द्र कुमारजीका सहयोग भी स्मरणीय है, जिन्होंने योजनानुसार इसकी कुछ प्रतियाँ विद्वानों एबं ग्रन्थालयोंमें भेंट हेतु प्रकाशन-पूर्ष ही सुरक्षित करा दी। स्वच्छ एवं शुद्ध मुद्रण हेतु वर्द्धभान मुद्रणाउयके अधिकारों एवं सहयोगियों को भूल पाना मेरे लिए असम्भव है! उन्हें भी हादिक साधुवाद । और अन्‍्तमें ज्ञानोदय प्रकाशनकी गतिविधियोंके प्रेरणा- स्रोत परमपूज्य आचाय॑ श्री विद्यासागरजो महाराजके प्रति विनयाभिभूत हूं जिनके सुस्मरण एवं शुभाशीष्से हो इस कृतिके प्रकाशनका आदिसे अन्त तकका संबल प्राप्त हुआ । ज्ञानोदय प्रकाशन महाकवि भूरामलजीके इस महाकाव्यकों नेहरू जन्मशताब्दी वर्षमें प्रकाशितं कर अपनी भ्रकाठान श्ुखलामे संयुक्त होती इस अभिनव कडीको शिरोमणि उपलब्धि रूप मानता हुआ गौरवका सम्पादन[संवेदन कर रहा है । पिसनहारी, ४८२००३, ०४०४८९ राकेश जन




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