जयोदय महाकाव्य | Jayoday Mahakavy
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28 MB
कुल पष्ठ :
675
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विनत हूँ मैं महाकवि भूरामलजीके आश्चर्योत्पादक व्यक्तित्व प्रतिभाके प्रति।
जिससे कि आज भी महाकविकी परम्पराका विकास हुआ ओर मसंस्कृत-साहित्यकी
समृद्धिम अकल्पनीय घटना घटी । प्रस्तुत कृ तिपर प्रस्तावना रेखनके लिए डर भागीरथ
जी त्रिपाठी “बागीश'' से निवेदन किया गया । जिसे उन्होने सहज स्वीकार कर प्रस्तावना
लिखने की कृपा की । उनकी इस साहित्याभिरुरूचिय उपकृतहोता हुआ मैं उनके प्रति
हृदयसे आभार व्यक्त करता हं
डॉ० पन्नालालजी साहित्याचार्यका आभार किन शब्दोंमे व्यक्त करूँ; इसके लिए
मुझमें न तो बुद्धि है और न हाब्द । कारण मुझे विवशतावश वुद्धावस्थामें भी उनसे इतना
अधिक काम कराना पडा | जिसे उन्होंने बिना प्रतिवाद किये सहर्ष किया भी । उनके
प्रति त्रिनश्न भावाङ्जलि अपि करते हूए कामना करता हं किं वे शतायुष्क हों । दीघं
काल तक हम संभीका मागं प्रशस्त करते रहे । इसके प्रकारानमे अजमेर निवासी भी महेन्द्र
कुमारजीका सहयोग भी स्मरणीय है, जिन्होंने योजनानुसार इसकी कुछ प्रतियाँ विद्वानों
एबं ग्रन्थालयोंमें भेंट हेतु प्रकाशन-पूर्ष ही सुरक्षित करा दी। स्वच्छ एवं शुद्ध
मुद्रण हेतु वर्द्धभान मुद्रणाउयके अधिकारों एवं सहयोगियों को भूल पाना मेरे लिए असम्भव
है! उन्हें भी हादिक साधुवाद । और अन््तमें ज्ञानोदय प्रकाशनकी गतिविधियोंके प्रेरणा-
स्रोत परमपूज्य आचाय॑ श्री विद्यासागरजो महाराजके प्रति विनयाभिभूत हूं जिनके सुस्मरण
एवं शुभाशीष्से हो इस कृतिके प्रकाशनका आदिसे अन्त तकका संबल प्राप्त हुआ ।
ज्ञानोदय प्रकाशन महाकवि भूरामलजीके इस महाकाव्यकों नेहरू जन्मशताब्दी वर्षमें
प्रकाशितं कर अपनी भ्रकाठान श्ुखलामे संयुक्त होती इस अभिनव कडीको शिरोमणि
उपलब्धि रूप मानता हुआ गौरवका सम्पादन[संवेदन कर रहा है ।
पिसनहारी, ४८२००३, ०४०४८९ राकेश जन
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