शब्दार्थचिन्तामणि | Sabdarthachintamani
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
82 MB
कुल पष्ठ :
280
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दो पक
|
পপ,
পপ ও
वाजइतिसिकरा इतिच भाषा | यसा
| न्याम्॥लेचमस्तके॥ सत्राव्ृत्तवि
शप | य०। त रगेकसपधाय सुनरे न्द्र
सवधाय | इच्टोंपक मबेहिलघसम
न्तमवधेह्धि ॥ यथा | चणयमात्रम ति
वल्वाजगदेतदतिफला। धनले।भमप
हाय नसपझझनयनाय ॥ रागविशप
॥ न | कडकमे ॥ इतिशब्दर
त्रावलो ॥वामलझहूरे ॥ सकृहट
न्तस धमस प्रकृताप्रकृतात्मनाम
। सेवक्रिया सुव दीषु कारकस्येतिदी |
यकम् ॥ प्राकरणिकाना सथात॒ उप
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হাক सोहाणम् । कलवालित्राणं थ-
णा कुत्तो धिप्यन्ति अमुञ्राणम् ॥ कृपं
खानांधनं नागानां फणामणि; केस-
राणिसिंहानास । क्लपालिकानां-
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कलषपष् व्यन्तविशषणम् । अचृवण्य
ज्लेन प्रकृतानां कुलवधुरतनानां तदु
पमानक्षेन प्रकूतानामन्येषांचकु तः
दी पे। सहाश । दी पाइति
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दोवाइतिच भाष ॥ खगग्र। हिखगे।||
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माने।पमेयानां धर्म: क्रियाद्रिक वा |
रमेषयदुपादोयते तदेकस्यैव सम,
स्ववाक्यद् पन! दो पकम ॥ वथा कि|
वणां षयं खाञ्राणं फणमणी केस- |
स्तना; कतः स्प्श्यन्ते अरूतानामि- |
तिसंख्कु तम् ॥ अचाषतानामितिस |
दीपखारी । खौ । दौपकरूप्याम् ॥ इति ||
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কানন 2
स्प्रश्यन्त ३तिसकूहुर्मे।पादानादी प- ५
काल ङ्कारः 1६५ ॥ कार कस्यच वद्धो, |
ष क्रियासु सकृदतति्टी पकम्। यथा
। स्विद्यति कूणति वेल्लति वि चलति
निमिषति विलोकयति तिवेक् । अ]
न्तनंन्दति चम्वितमिच्छति नवपरि
शयावधूः शयने ॥ स्विद्यति स्वेद॑भज |
ते । क्रूणति सङ्कोचमालम्बते।वेह्ल |
तिपरिव॒त्त्यश ते | विचलतिविशष |
तशृज्चलाभवति। निमिषति निद्राब्या |
जेन नेचेमद्रयति। अन्तनेन्दति हष्य
নি লব্বান্তান্জন बाद्यतोहषोप्रकाश
नात् । अतण्वचुम्वितुमिच्छति नत् |
चम्बती त्त्यनेकासुक्रियासु वधुहूप |
कन्तु कारकस्छसज्गदृत्तिरित्यथै; ॥ अ |
पिच । वदन्तिवण्थावण्यानां মী-।
क्यंदी पकंवधा: | मदेनभातिकलभ:
प्रतापेनमहो पतिः ॥ दीपयति । दी
पीदी सौ । र्न्तः । खल् ॥ चि । ||
दीपेकशले ॥ आ० कन् ॥ ढीघि- |
कारके। भासके॥ |
दी पकरूपो । खी । दीपवन््याम् । तेल
माल्याम् । पलीता इतिवत्ती इति
चच माषा ॥
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शब्दमाला ॥ ঢু
दी पध्वजः । पं । कच्जले ॥ इतिजटा টু
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