पंचामृताभिषेक पाठ एवं श्रावक पूजाविधान | Panchamritabhishek Path Aur Shravak Pooja Vidhan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
90
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पंचामृताभिषेकादि
ज्योतिय्यंतरभावनामर गुठे मेरो कूलादो तथा
जंबशाल्मलिचेत्यशाखित्र तथा वक्षाररूप्याद्रिष 1
इृष्वाकारगिरों च् कुण्डलनगे होपे च नन््दीद्ववरे
शैले ये मन॒जोत्तरे जिनगहा: क॒र्व॑न्तु मे (ते) मंगलभ् ॥७॥
यो गर्भावतरोत्सवों भगवतां जन्माभिषेक्ोत्सवो
यो जातः परिनिष्का्रेण विभवो यः फेवलज्ञानभाक्
पः कंवल्यपुरप्रवेशमहिमा सभावितः रचगिभि: ।
कल्यणानि चं तानि पंच सततं कुवन्तु मे (ते) मंगलम् +८॥
इत्यं श्रीजिनमंगलाष्टकसिद सौभाग्यसंपंत्प्रदं
कल्याणंषु भहोत्सवेंषु सुधियग्तीर्थकराणा मुषः
ये शृण्वन्ति पठच्ति तैश्च सुजनैधर्मार्थक्रासान्धिता
लक्ष्मीराश्रयते व्यपाय? हिता निर्वाणलक्ष्मीरपि 1९७
~ इति मंगलाष्टकम --
श्रीसज्जिनेन्द्रएमिव्य जग-भयेश ।
स्थाह् दनायक मनन्तचतुष्ठयाहँम् ॥
श्रीमलसंघसुद्॒शां सुकृतेकहेतु-
जेनन्धयज्ञविधिरेष मयाभ्यधायि 1!
(इस इलोकको पढ़कर भगव/न के चरणोंमें पुष्पांजली अर्पण करना
प्रीसनन््मन्दरसुन्दरे शुचिजलेधाते: सदर्भाक्षतेः ।
पठ मुवितवरं निधाय रचितं त्वत्पादपद्मस्रजः 11
इन्ोऽहं निजभषणार्थकमिदें यज्नोपर्वं तं देधे ।
मुद्राकंकणशे्खराण्ययि तथा जनाभिदेकोत्सवे ॥
(इस इलोकको पठकफर भगवान कै चरणौ पृरष्पाजकि अर्पल
करना और यज्ञोपवीत तथा माभषण घारण करनाचाहिये )
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