धर्म के नाम पर | Dharm Ke Nam Par

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Dharm Ke Nam Par  by भदन्त आनन्द कौसल्यायन - Bhadant Aanand Kausalyaayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८ अमंके नामपर गई थीं | उन सुन्दर रूपोंकरो उस जमीनमेंसे निकाला गया, जिसने उन्हें सुरक्षित रखा था | यह इसीका परिणाम है कि आजका सभ्य संखर कलसे परिपूर्णं है, दीवार चित्रोंसे सुसज्जित हैं, और मूर्पियाँ रखनेके ताक मूतियोंसे सुशोमित हैं। कुछ पाण्डुलिपियौ खोज निकाली गहं ओर उन्हे नये सिरेसे पदा गया । पुरानी माधय सीखी गर ओर साहित्यने नया जन्म लिया | भावनाने नया प्रकाश देखा । मजहवने मानसिक विंकासके प्रत्येक प्रयत्तका विरोध किया | यह सब होनेपर भी सामान्य विनाशसे बचा छी गई कुछ चीजोंने, कुछ कबिताओंने, प्राचीन चिन्तकोंकी कुछ कृतियोंने, पत्थरकी कुछ मूतियोंने, एक नई सम्यताको जन्‍म दिया जो निश्चयात्मक रूपसे मिथ्या विश्वासकी जड़ हिला देनेवाली थीं । अमरीकाकी खोज ईसाई मजहबको दूसरी बड़ी चोट किस बातसे छगी ! अमरीकाकी खोजसे। पवित्र प्रेतको, जिखने बाहर लिखनेकी प्रेरणा की, इस मदान्‌ द्वीपकी कुछ जानकारी न थी, उसे पश्चिमी गोलाधंका कभी ख्याल मी नहीं आया था । आाश्वछमें आधे संसारका उल्लेख ही नहीं है । “पवित्र आत्मा? को इस बातका शान नहीं था कि पृथ्वी गोल है। उसे इस बातका কমন মী नहीं था कि पृथ्वी गोल है । यद्यपि उसने स्वयं उसकी रचना की थी तो भी उसका विश्वास था कि यह चपटी है। किन्तु अन्तमें यह पता लग गया कि प्र॒थ्वी गोल है । मेगेलन समस्त पृथ्वीका चकर काट आया | १५१९ में उस वीर आत्माने अपनी यात्रा आरम्भ की । पादरी, पुरोहित बोके--' मित्र, पृथ्वी चपटी है, मत जाओ, कहीं तुम किनारेके आगे न गिर पड़ो !” मैगेलनका उत्तर था;--: मैंने चन्द्रमामें पृथ्वीकी छाया देखी है और मेरे लिये ईसाई मजहबकी अपेक्षा यह छाया अधिक विश्वसनीय है । ` जहाज प्रथ्वीके गिदें घूम आया। समस्त पृथ्वीका चक्कर काट लिया गया । विशानने प्रथीके ऊपर ओर नीचे अपना हाथ फेर कर देखा | कहाँ था बह स्वर्ग ओर कष्टौ था वह नरक | स्वे अीर नरक सदाके ल्यि बिरूीन हो ग्ये । अब यदि कहीं उमके चयि অলহ दै तो केवल मिथ्या विदवासियोके मजहवमै ।




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