अकशेरुकी प्राणी-विज्ञान | Aksheruki prani vigyan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
41 MB
कुल पष्ठ :
820
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रोटोप्लाज्म और कोशिका 1 5
महत्व जिगर (यकृत) तथा पेशियो में है । आवश्यकता पड़ने पर जिगर और पेशियों का
ग्लाइकोजन ग्लूकोज में बदल जाता है।
लाइपिड--वसाओं ओर वसा जैसे पदार्थों को लाइपिड कहते हैं । ये कार्बन
हाइड्रोजन, तथा आरॉक्सीजन के बने होते हैं और जल में श्रपुलनशील होते हैं। लाइपिड
संचित खाद्य-पदार्थ के रूप में पाए जाते हैं और प्रोटोप्लाज़्म के अंश के रूप में भी । ये
ऊर्जा सप्लाई करते हैं हालांकि उतनी जल्दी नहीं जितनी कि ग्लूकोज । लाइपिड़ों में ऐसे
बहुत से यौगिक शामिल-हैँ जो जल में अ्रधुलनशील होते हुए भी बेन्जीन, पेट्रोल, ईथर
तथा क्लोरोफॉर्म जैसे कार्बनिक विलायकों में घुल सकते हैं । लाइपिडो को इन वर्गों में
विभाजित किया जाता है : सरल लाइपिड, स्टेरॉयड, सम्मिश्र लाइपिड, तथा कैरोटिनॉयड |
सरल लाइपिड वसा अम्लों (फंटी एसिडों) के ऐल्कोहॉल एस्टर होते हैं, जैसे कि विभिन्न
ग्लीसेराइड जो कि वसा श्रम्लों और ग्लीसेरॉल के बने होते हैं; इन्हें वसात्रों और तेलों में
विभाजित किया जा सकता है । वसाएं 200 पर ठोस होती हैं जबकि तेल इस ताप पर
'तरल अवस्था में होते हैं। जल-अपघटन होने पर वसा के प्रत्येक ग्रणू से एक अणु ग्लीसेरॉल
(ग्लीसेरीन) का तथा तीन अण् वसा अस्लों के प्राप्त होते हैँ । सामान्यतः मिलने वाली
चबियां पशुवसा (टैलो) तथा सूअर की चर्बी (लार्ड) होती हैं ।.सामान््य मिलने वाले तेल
ये हैं--अरंडी का तेल, सरसों का तेल और जैतून का तेल । सरल लाइपिडों म मोम भी
भ्राता है जो कि ग्लीसेरोँल को छोडकर वसा तेलो के ऐल्कोहॉल के साथ एस्टर होते हैं, जैसे
कि शहद की मक्खी का मोम । स्टेरायडों > एक एेलिफैटिके वलय नाभिक होता है जिसमें
संनृप्त हादडोकावेन होते हैं । स्टेरॉयडों से शरीर में महत्त्वपूर्ण पदार्थ बनते हैं जैसे कि
पित्त के अम्ल,विटामिन 0 और गोनडों तथा ऐड्रीनल कार्टक्स के हार्मोन । जिन स्टेरॉयडों
में एक समूह विद्यमान होता है उन्हें स्टेरॉल कहते हैं जैसे कोलेस्ट्रोल जो कि पित्त,
मस्तिष्क और ऐड़ीनल ग्रंथियों में पाया जाता -है । सम्मिश्र लाइपिड वे होते है जो जल-
अपंघटन होने पर न केवल ऐल्कोहॉल तथा अम्ल प्रदान करते हूँ बल्कि भ्रन्य यौगिक भी
उदाहरणतः: लेसिथिन (1००४1) और ননলি . (5২৮০০) | লললি वह पदार्थ
है जो तंत्रिकाओं के मायेलिन आवरण में पाया जाता है । करोटिनॉयड कोशिकाश्ों में
पाए जाने वाले लाल अथवा नारंगी वर्णक ( पिग्मेंट ) होते हैं । ये जल में अ्रघुलनशील कितु
कार्बनिक विलायकों में घुलनशील होते हैं, उदाहरणतः विटामिन ^. श्रंडे का पीतक
. वर्णक और कैरोटीन जो कि गाजर और घास में पाया जाता है।
न्यूक्लिइहक अम्ल--न्यूक्लिइक अस्लों में सम्मिश्र रासायनिक रचना वाले अणु
बहुत बड़े-बड़े होते हैं, फिर भी वे कुछ थोड़े ही प्रकार के छोटे अणुओं के बने होते हैं।
व्यूक्लिइक अम्ल के अणुझ्रों में ये आते हैं: एक पेंटोज शर्करा, फॉस्फोरिक अम्ल जिसे
रासायनिक संयोजन की दशा में प्रायः फॉस्फेट कहते हैं, तथा हाइड्रोजन बंधनों
(बॉ”डों) द्वारा जुड़े हुए प्यूरीनों @पाः68) एवं पाइरिमिडीनों (95720101099) के
नाद्टोजन-युक्त वेस । पाइरिमिडीनों मे चार परमाणु कार्बन. के और दो परमाणु नाइट्रोजन
के होते हैं जो कि एक षट्कोण के रूप में व्यवस्थित होते हैं। परंतु प्यूरीवों मे वसे ही षट्कोण
तु
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