अकशेरुकी प्राणी-विज्ञान | Aksheruki prani vigyan

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Aksheruki prani vigyan by ई. एल. जॉर्डन - E. L. Jordan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रोटोप्लाज्म और कोशिका 1 5 महत्व जिगर (यकृत) तथा पेशियो में है । आवश्यकता पड़ने पर जिगर और पेशियों का ग्लाइकोजन ग्लूकोज में बदल जाता है। लाइपिड--वसाओं ओर वसा जैसे पदार्थों को लाइपिड कहते हैं । ये कार्बन हाइड्रोजन, तथा आरॉक्सीजन के बने होते हैं और जल में श्रपुलनशील होते हैं। लाइपिड संचित खाद्य-पदार्थ के रूप में पाए जाते हैं और प्रोटोप्लाज़्म के अंश के रूप में भी । ये ऊर्जा सप्लाई करते हैं हालांकि उतनी जल्दी नहीं जितनी कि ग्लूकोज । लाइपिड़ों में ऐसे बहुत से यौगिक शामिल-हैँ जो जल में अ्रधुलनशील होते हुए भी बेन्जीन, पेट्रोल, ईथर तथा क्लोरोफॉर्म जैसे कार्बनिक विलायकों में घुल सकते हैं । लाइपिडो को इन वर्गों में विभाजित किया जाता है : सरल लाइपिड, स्टेरॉयड, सम्मिश्र लाइपिड, तथा कैरोटिनॉयड | सरल लाइपिड वसा अम्लों (फंटी एसिडों) के ऐल्कोहॉल एस्टर होते हैं, जैसे कि विभिन्न ग्लीसेराइड जो कि वसा श्रम्लों और ग्लीसेरॉल के बने होते हैं; इन्हें वसात्रों और तेलों में विभाजित किया जा सकता है । वसाएं 200 पर ठोस होती हैं जबकि तेल इस ताप पर 'तरल अवस्था में होते हैं। जल-अपघटन होने पर वसा के प्रत्येक ग्रणू से एक अणु ग्लीसेरॉल (ग्लीसेरीन) का तथा तीन अण्‌ वसा अस्लों के प्राप्त होते हैँ । सामान्यतः मिलने वाली चबियां पशुवसा (टैलो) तथा सूअर की चर्बी (लार्ड) होती हैं ।.सामान्‍्य मिलने वाले तेल ये हैं--अरंडी का तेल, सरसों का तेल और जैतून का तेल । सरल लाइपिडों म मोम भी भ्राता है जो कि ग्लीसेरोँल को छोडकर वसा तेलो के ऐल्कोहॉल के साथ एस्टर होते हैं, जैसे कि शहद की मक्खी का मोम । स्टेरायडों > एक एेलिफैटिके वलय नाभिक होता है जिसमें संनृप्त हादडोकावेन होते हैं । स्टेरॉयडों से शरीर में महत्त्वपूर्ण पदार्थ बनते हैं जैसे कि पित्त के अम्ल,विटामिन 0 और गोनडों तथा ऐड्रीनल कार्टक्स के हार्मोन । जिन स्टेरॉयडों में एक समूह विद्यमान होता है उन्हें स्टेरॉल कहते हैं जैसे कोलेस्ट्रोल जो कि पित्त, मस्तिष्क और ऐड़ीनल ग्रंथियों में पाया जाता -है । सम्मिश्र लाइपिड वे होते है जो जल- अपंघटन होने पर न केवल ऐल्कोहॉल तथा अम्ल प्रदान करते हूँ बल्कि भ्रन्य यौगिक भी उदाहरणतः: लेसिथिन (1००४1) और ননলি . (5২৮০০) | লললি वह पदार्थ है जो तंत्रिकाओं के मायेलिन आवरण में पाया जाता है । करोटिनॉयड कोशिकाश्ों में पाए जाने वाले लाल अथवा नारंगी वर्णक ( पिग्मेंट ) होते हैं । ये जल में अ्रघुलनशील कितु कार्बनिक विलायकों में घुलनशील होते हैं, उदाहरणतः विटामिन ^. श्रंडे का पीतक . वर्णक और कैरोटीन जो कि गाजर और घास में पाया जाता है। न्यूक्लिइहक अम्ल--न्यूक्लिइक अस्लों में सम्मिश्र रासायनिक रचना वाले अणु बहुत बड़े-बड़े होते हैं, फिर भी वे कुछ थोड़े ही प्रकार के छोटे अणुओं के बने होते हैं। व्यूक्लिइक अम्ल के अणुझ्रों में ये आते हैं: एक पेंटोज शर्करा, फॉस्फोरिक अम्ल जिसे रासायनिक संयोजन की दशा में प्रायः फॉस्फेट कहते हैं, तथा हाइड्रोजन बंधनों (बॉ”डों) द्वारा जुड़े हुए प्यूरीनों @पाः68) एवं पाइरिमिडीनों (95720101099) के नाद्टोजन-युक्त वेस । पाइरिमिडीनों मे चार परमाणु कार्बन. के और दो परमाणु नाइट्रोजन के होते हैं जो कि एक षट्कोण के रूप में व्यवस्थित होते हैं। परंतु प्यूरीवों मे वसे ही षट्कोण तु




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