जातक भाग १ | Jatak Part 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
603
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १३ 1
आत्मा नाम का कोई नित्य ध्रुव, भ्रविपरिणाम स्वभाव वाला पदार्थ
नही है । कम से तथा (अ्रविद्या श्रादि) क्लेशों से अ्रभिसंस्क्रृत पञचस्कत्ध
मात्र ही पूर्व-भव संतति क्रम से एक प्रदीप से दूसरे प्रदीप के जलने की तरह
गर्भ में प्रवेश पाता है।
इसी प्रकार राजा मिलिन्वः ने महास्थविर नागसेन से प्रश्न किया---
यदि संक्रमण नही होता तो पुनर्जन्म कंसे होता है ?
हाँ महाराज, बिना संक्रमण हुए पुनजेन्म होता है ।
१. भन्ते, सो कंसे होता है ? कृपया उपमा देकर समभावं ।
महाराज ! यदि कोई एक बत्ती से दूसरी बत्ती जला ले तौ क्या यहाँ
एकं बत्ती दूसरी मे संक्रमण करती हं ?
नही भन्ते !
महाराज ! इसी तरह विना संक्रमण हुए पृनजैन्म होता है ।
२. कपया फिर भी उपमा दे कर समवे ?
महाराज | क्या आपको कोई इलोक याद है जो आपने अपने गुरु के
मुख से सीखा था?
हाँ, याद है ।
महाराज } क्या वह इलोक ग्राचाय्यं के मुख से निकल कर आपके
मुख में घुस गया ?
नहीं भन्ते !
महाराज ! इसी तरह बिना संक्रमण हुए पुनजेन्म होता ह ।
भन्ते ! श्रापने मरच्छा समाया ।
फिर राजा बोला--मन्ते ! एसा कोई जीव हं जो इस शरीर से निकल
कर दूसरे में प्रवेश करता ह?
नहीं, महाराज ।
` रूप, वेदना, संज्ञा, संस्कार, तया विज्ञान ।
` राजा भिलिन्द का समय ई० पु० १५० है ।
`श्रात्मा का एक शरीर को छोड़ कर दूसरे को धारण करना।
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