हाड़ौती साहित्य और स्वरुप | Hadotee Sahitya Aur Swaroop
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हाडौती बोनी वा स्वरूप १५
घातु 1 -क प्रत्यय के योग से सम्पन 1
घातु+ भर प्रत्यय के योग से सम्पान।
इनके उदाहरण हैं--खाक, सार। यति चानु कौ दिर्द्त केः उषः य,
प्रत्यय प्रयुक्त हो तो उससे त्रिया की पुत्र -पुन झ्ावत्ति का सकेत मिलता है,
यथा--ऊ रो रोर थाक स्यो।
ज॑ हाडीती मे सयुक्त क्रियाए मी पाई जाती है, जो मुख्य धातु के पूव
बालिक कृदत, भूतकालिक डृदत वतमानक्रालिक छृदत झौर क्रियाथक सता के
साथ गौण क्रिया वे वाल रूपा को जोडने से बनती हैं यथा--मागग्यो, चालबू
कर, देखतो रीजे और मागबों छाव ।
हाडौती बाली है श्रौर बोली म वाक्य लघध्वाकारी होते हैं। इमलिए मिश्र
तथा सयुकत बावय कम सुनने मे आते हैं, साधारण वाक्य ही प्राय प्रयुक्त हीते
हैं जो एक रब्ट से लेकर छ सात दादों तक के हो सकते हैं । यद्यपि वोलचाल
में वाबय मे हा 6 का स्थान निश्चित है--र्ता-+प्रय कारक रूप -+क्म 1
क्रिया पर अ्थ भद व बल से स्थाना मे परिवतन होता रहता है--म्हन रोटी
खाई (सामाय कथन), राठी म्हनें खाई (बम पर वल) वा झाई (सामाय
कथन) आझाईन वा (क्रिया पर बल) ।
शब्त कम बदलने पर बुछ ग्रवस्थाओ्रों म ग्रथ बदल जाता है, जस--'द्वार्
बुत्तो खाबे छ पर कुत्तों हर सावछ।
वाक्य रचना क॑ क्ूछ नियम इस प्रकार हैं
१ भेय श दे भेदक के पास रहता है--बाँदरा को वच्चा ।
२ निजवाचक सवनाम पुम्पवाचक सवनाम के बाद म श्राता है--
तू श्राप्णा वाम कर ।
३ विशेषण विशेष्य से पुष भ्राता है--काछो घोडो 1
४ सयुवत त्रिया में प्रधान क्रिया गौण जिया से पूव पाती है--छठ-
बठयो ।
हाडीती बोली का वर्गीकरण
ऐसा प्रचलित है कि हर बारह कोस पर वोली बटलती है। पर जब हाडौती
के क्षेत्र पर हम दप्टिपात करते हैं तब हम ग्राश्वय होता है कि इस क्षत्र वे
उत्तरी भाग का निवासी लगमग वही बोली बोलता है जो दक्षिण का निवासी
बोलता है । इसी प्रकूपर पूब तथा पद्चिमी सीमाओ।) के निवासिया की बोलियो
मे भी उल्लेखनीय भ्तर नही है | फिर भी तनिक पा श्रत्तर उत्तर तथा दर्सखिण
की बोलिया म॑ मिलता है जिसके भ्राघार पर हम हाडौती को दो वर्गों मे
विमक्त कर सकत हैं
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