एम. एन. राय का दार्शनिक चिंतन | M.N. Rai Ka Darshanik Chintan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
35 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एम० एन० राय के चिन्तन की पृष्ठभूमि 3.
सभी धर्मो के बीच निहित मौलिक एकत्व की स्थापनाके लिये ऐसे मिशन की स्थापना
की थी! इनका यह् विश्वास था कि सभी धर्म शाश्वत धर्म के ही भंग हैं। ऐसे मिशन
की स्थापना इन्होंने 1897 ई० में की जिसके द्वारा इन्होंने अपने समर्थकों को सामा-
-जिक एवं मानवतावादी कार्यो को प्रोन्नत करने के लिये शिक्षा दी । अन्य समाज
सुधारकवादी संस्थाओं की तरह रामकृष्ण मिशन भी एक संस्था है जिसका उदेश्य
हिन्द धमं की संकीणंताओों को दुर कर उन्हें जयः पतन की ओर जाने से बचाना है।
'विवेकानन्द का यह उदेश्य था कि पाइचात्य जगत में भी जो अच्छाईयाँ हो उन्हें
ग्रहण किया जाना चाहिये ।
अचत आन्दोलन को समाप्त करने की दिशा में प्रयत्त करने में इन्हें महात्मा
शाँधी का पूरोगामी कहा जा सकता है। अछूत प्रथा के संकी णंताओं की ओर ध्यान
आकृष्ट करते हुए इन्होंने लिखा भी है कि यदि कोई भंगी आकर अपने को भंगी
होने की बात करता है तो लोग उनसे डर कर भाग खड़े होते हैं, किन्तु वेसे ही भंगी
को कोई पादरी मन्त्र पढ़कर जल छिड़क देता है तो लोग, उसे अपने कमरे में आम-
-र्त्रित करते हैं। * इससे यह पता चलता है कि किस प्रकार अछूतोद्धार की ओर वे
'उन्मुख थे। विवेकानन्द ने भारतीय युवकों को साहस के द्वारा प्रगति के पथ पर
.. अग्रसर होने की राय दी है तथा सत्य और मानवता का मसीहा बनने को कहा है।
ये पूरोहित प्रथा के घोर विरोधी हैं क्योंकि इनके अनुसार ऐसे लोगों ने
जन-समुदाय के अज्ञान का लाभ उठाया है, समाज का शोषण किया है तथा ऐसे
लोग प्रगति के पथ के बाधक हैं । दरिद्र नारायणों के महत्व को स्वीकार करते हये
इन्होंने अपने अभिभाषण जिसे इन्होंने 'पालियामेन्ट ऑफ रौलीजन्स' में दिया था,
में कहा है कि पूर्वीय क्षेत्रों में धर्म की कमी नहीं है किन्तु रोटी का अभाव है। वे
रोटी की माँग करते हैं किन्तु उन्द हम धमे देकर उन्हें प्रस्तर दे रहे हैं। यह भूखे
मनुष्यों का अपमान है | इस प्रकार विवेकानन्द ने हिन्दू धर्म के पुनर्जागरण के
लिये, उनके विकास के लिये तथा सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिये
रामकृष्ण मिशन जैसी संस्था की स्थापना की थी जो आज भी सामाजिक, घार्भिक
कार्यो में रत है तथा जिनका उदेश्य जन-जीवन में नई-स्फृति भरना है, नये विचारों
को प्रोन्नत करनाहै।
राष्टीय चेतनाके निर्माण में और भी कई महत्वपूर्ण संस्थाओं की अहम
भूमिका है जिनमें द डकन सोसायटी, द सर्वेन्ट्स ओंफ इंडिया सोसायटी तथा सोशल
-सभिस लीग का स्थान है । ठेसी संस्थाये वस्तुतः सामाजिक, धार्मिक, तथा सांस्कृतिक
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