भारतमाता - धरतीमाता | Bharat Mata Dharti Mata

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Bharat Mata Dharti Mata by ओंकार शरद - Onkar Sharad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पृ 3 भारलमातानघरतीमाता आनन्द प्रेम और शान्ति का आह्वान तो रामायण में है ही पर हिन्दुस्तान की एकता जैसा लक्ष्य भी स्पष्ट है । सभी जानते हैं कि राम हिन्दुस्तान के उत्तर-दक्षिण की एकता के देवता थे ५ पुर्व-पश्टिचम एकता के देवता थे कृष्ण और कि आधुनिक भारतीय भाषाओं का मूल ख्ोत राम-कथा है। कम्बन की तमिल रामायण एकनाथ को सराठीं रामायण कीतिवास को बंगला रामायण और ऐसी ही दूसरी रामायणों ने अपनी-अपनी भाषा को जत्म और संस्कार दिया । यहाँ मैं बतला दूँ कि खोतानी तुर्की रामायण तो राम और लक्ष्मण दोनों की शादी सीता से करा देती है और थाई और कम्बोज और हि्देशिया की रामायणों में वहीं दिखाया गया है जो कि कुछ प्राचीन भारतीय रामायणों में है कि सीता की नमद उसके साथ एक ऐसी मसखरी करती है कि जिसमें उसके पास रावण का चित्र रख दिया कि सीता व्यग्र हो उठे । इन सबसे यह पता चलता है कि सुल राम-कथा आवश्यक वस्तु है मे कि उसकी बारीकियाँ । तुलसी रामायण की धार्मिक कर्बिता ऐसी है कि जैसी शायद दुनिया भर में और कोई कवित्वसय नहीं है लेकिन बिना किसी सदेह के यह कहा जा सकता है कि वह विवेक को देवा देने की ओर प्रवृत्त करती है । जहाँ घ्म॑निरपेश् कवि शेक्सपियर और या कालिदास थी पाठक में उसकी समीक्षा-बुद्धि को अवरुद्ध किये बिना कविता और विस्तीणें वातावरण निर्मित करते हैं वहाँ रामायण जिस किसी विषय पर जो कुछ कहती है उसे पवित्र बना देती है । कम से कम अधिकांश पाठकों और श्रोताओं पर यहीं असर पड़ता है । रोजमर्राह के रीति- रिवाज एक ऐसे शाश्नत घूल्य प्राप्त कर लेते हैं जैसे कि उन्हें कभी नहीं करना चाहिए । औरतों या पिछड़े वर्गों या जातियों के खतरनाक स्वरूप सम्बन्धी विचार सुप्रतिष्ठित किये गये हैं । इन उत्कृष्ट पंक्तियों को हमेशा याद रखना चाहिए सीया राममय सब जग जासी । या कत विधि सुजों नारी जग साहीं । पराधीन सपनेहूँ सुख नाहीं ॥। और वारो को कलंकित करने वाली पंक्तियों को हँस कर टाल देना चाहिए कि ये पंक्तियाँ किसी शोक-संतप्त अथवा नीच पात्र के मुंह में हैं या ऐसे कवियों को हैं जो अपरिवर्तनशील युग में थे ।




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