श्री जैन स्वध्यायमाला | Shri Jain Swadhyayamala

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Shri Jain Swadhyayamala by रतनलाल डोशी - Ratanlal Doshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जैन स्वाध्यायमाला भ्‌ ০০ @ ~य ২ गयो ए 9 “भा. ९ 9 “आफ. $ 87 क । ऋणी सुद्धेण पडिरगाहगसुद्धेण तिविहेण तिकरणसुद्धेण सुत्त अणगारे पडिलाधिए समाणे ससारे परित्तीकए । मणुस्साउएु णिवद्धे । निहंसि य से इमाई्‌ पच दिन्वाइ्‌ पाउभूयाद्‌। त जहा-१ वसुहांरा वृदा २ दसद्धवण्णे कुसुमे णिवाइए ३ चेलृक्खेवे कए ४ आहयाओो देवदृदुहिश्रो ५ श्रतरावियंण भ्रागाससि ब्रह दण ब्रह दाण घुटय। तएुण हत्थिणाउरे णयरे सिघाडग जाव पहेमु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ ४ धण्णे ण देवाणुपििया सुमृहे गाहा- वई जाव त धण्णे ण देव्राणुप्पिया सुरहे गाहावई। तए ण से सुमुहे गाहावई बहुइ वासाइ श्राउय पालेइ पालित्ता कालमासे काल किच्चा इहेव हत्यिसीसे णयरे श्रदी णसत्तस्स रण्णो धारिणीए देवीए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उबवण्णे । तएण सा धारिणी देवी सर्याणज्जसि सुत्तजागरा उहीरमाणी उही रमाणीं तहेव सी पासइ । सेसं त चेव जाव उप्यि पासाएं विहरइ | त एवं खलु गोयमा ! सुवाहुणा कुमारेणं इमे एयारूवा माणुस्सरिद्धि लद्धा पत्ता अभिसमण्णागया । पभू ण भते | सुबाहुकुमारे देवाणुप्पियाण श्रतिए मृडे भवित्ता अ्रगाराञ्नों श्रणगारिय पव्वइत्तए ? हता पभू । तएण से भगवं गोयमरे समण भगव महावीर वदइ णमसइ वंदित्ता णमसित्ता सजमेण तवसा प्रपाण भावेमाणे विहूरइ्‌ । तएणसे समरणे भगव महावीरे अण्णया कयाइ हत्थि सीसाओ णयराओ्रो पुप्फकरंडयाओश्रो उज्जाणाओ कयवणमालप्पि- यस्स जक्खस्स जक्खाययणाञ्रों पडिणिक्खमइ,पृडिणिंवख मित्ता बहिया जणवयविहार विहरइ | तए ण से सुबाहुकु मारे समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलामेमाणे विहरइ । तए ण




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