चाँद चढ्यो गिगनार | Chand Chadhyo Giganar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
88
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रीतम कुर्सी माध वठ न अखबार रा पाना पत्टवा लागग्या। मधु
জাম बठन श्ुईंटर बणावण लागगा। मथु रा ध्यान उचटतो जाबो हा।
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बहतजी । आपन सी वानी लाग के ?ै मन तो झीणी भीणी ठण्ड दाग |
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प्रीतम सोचता रयो । देखता रया। मन माय वोत्या 'कती चतर
है! फेर बोयो-- थार सरीर न #मू की तकलीफ कौनी हूव ?
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आवबण सू पला माय ली आरी माय जाय न ताम लेप न आई। तास र लार
द्ध मित्योद्धी मम सारी तस्वीर मदयांटीही। ताम खलती वदातामरा
पत्ता हाथ सू फिमछ फ्सिक्त ने पड हा जिया जाघ सू सही मघुवाती
मास्टर जी आ तास घणा अरमाना सू खरीटी ही पण हालताई है रा उद्
घादन नी हुयो। आज थारे हाथा म् पली पोत खेली जाय है।'
सीपरी हा एक बाजी खेली जी । मधु वोली मास्टर जी म्हारा जीव
घंयरण खलता जांव ही अर आपर कब्जे रा वरन खोलत्ती जाल ही ।
आ देस न प्रोतम री अश्या सपक वा लागगी। मास्टर जी रो हाथ
पकटन खुजा छात्तो माथ फिराती बाती-- थे अठ हाथ फेरता रवा |
विडताणी जी वव हा--$ रवा चौथ न सेठा रा बंटो घरे पृग्यो। सठा
रा मन धणू हरख सू भरा ज्यों । मा राजी हूयगी। घण दातो मूडा हां
खि ग्यो। पैंटी सू रच्योडा हाथ चोगणा लात व्यग्या । पूची पमीजवा
उागगी। माथ री टीड़ो पी सू गीवी हूयस्या। आस्या प्यार लू माचण
जागगी।
सुरागण मागण 15
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