चाँद चढ्यो गिगनार | Chand Chadhyo Giganar

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Chand Chadhyo Giganar by रामविलास शर्मा - Ramvilas Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रीतम कुर्सी माध वठ न अखबार रा पाना पत्टवा लागग्या। मधु জাম बठन श्ुईंटर बणावण लागगा। मथु रा ध्यान उचटतो जाबो हा। आगलल्‍्या सताया र साग हिल ही पण सुइटर नो बणीज हां। जाख्या रो लम्बो काजछ मत्होसी सू विखरो हो। काना माय एक सुर मराहुट ही । कालज माथ थपक्‍या पड ही । छाती सास र साग मघरी चाल सू हाल हो! बहतजी । आपन सी वानी लाग के ?ै मन तो झीणी भीणी ठण्ड दाग | नी | ह तो छाया र नीच टाउजर पेन राख्यो है लहंगा ऊचो कर न टाउजर दिखावती बाला 1 'ओ चूडीदार पजाम विंडल्यामा पसीजता हुसी की प्रीतम सोचता रयो । देखता रया। मन माय वोत्या 'कती चतर है! फेर बोयो-- थार सरीर न #मू की तकलीफ कौनी हूव ? आदम्या अर तुगाया खातर अक्तगा अछगा हवमन ता ठा ही कौनी हा! अधम्म सू भर न प्रीतम वात्या । খীতী জানত प्रछ मधु शाती-- जाआ मास्टर जी तास खेला पडत्तर आवबण सू पला माय ली आरी माय जाय न ताम लेप न आई। तास र लार द्ध मित्योद्धी मम सारी तस्वीर मदयांटीही। ताम खलती वदातामरा पत्ता हाथ सू फिमछ फ्सिक्त ने पड हा जिया जाघ सू सही मघुवाती मास्टर जी आ तास घणा अरमाना सू खरीटी ही पण हालताई है रा उद्‌ घादन नी हुयो। आज थारे हाथा म्‌ पली पोत खेली जाय है।' सीपरी हा एक बाजी खेली जी । मधु वोली मास्टर जी म्हारा जीव घंयरण खलता जांव ही अर आपर कब्जे रा वरन खोलत्ती जाल ही । आ देस न प्रोतम री अश्या सपक वा लागगी। मास्टर जी रो हाथ पकटन खुजा छात्तो माथ फिराती बाती-- थे अठ हाथ फेरता रवा | विडताणी जी वव हा--$ रवा चौथ न सेठा रा बंटो घरे पृग्यो। सठा रा मन धणू हरख सू भरा ज्यों । मा राजी हूयगी। घण दातो मूडा हां खि ग्यो। पैंटी सू रच्योडा हाथ चोगणा लात व्यग्या । पूची पमीजवा उागगी। माथ री टीड़ो पी सू गीवी हूयस्या। आस्या प्यार लू माचण जागगी। सुरागण मागण 15




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