स्वाधीनता की चुनौती | Swadhinta Ki Chunauti

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Swadhinta Ki Chunauti by शान्तिप्रसाद वर्मा - Shantiprasad Verma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शान्तिप्रसाद वर्मा - Shantiprasad Verma

Add Infomation AboutShantiprasad Verma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
२ स्वाधीनता की चुनौती जापान की सेनाएं हिन्दुस्तान के दवजि पर धक्का दे रही थीं, सर स्टेफ़डं क्रिप्स ने घोषणा की कि युद्ध के समाप्त होते ही हिन्दुस्तान अपनी मनचाही आज़ादी प्राप्त कर सकेगा। परन्तु जब हमारे नेताओं ने क्रिप्स योजना का निकट से अध्ययन किया तो पता लगा कि लड़ाई के दिनों में उनसे, खमे ढोने वाले कुलियों से अधिक आदर का काम लिये जाने की अपेक्षा नहीं की जा सक्ती थी क्रिप्स का खड़ा किया गया हवाई किला वास्तविकता की हवा के एक हल्के से कोंके से जमीन में बिखर गया । १६४४ के ग्रीष्म में शिमला सम्मेलन का नाटक खेला गया। कांग्रेस की कार्यसमिति के सदस्य अहमदनगर के किले से बड़े आदर ओर सन्मान के साथ स्पेशल ट्रेनों से शिमला लाए गए । तेजी के साथ पदं त्रदे गौर अन्त मे, वेवल की इस घोषणां के साथ किं असफलताकी जिम्मेदारी उन पर है नाटक का पटाक्षेप हुभा । हमारे मन की निराशा गहरी होती चली गई । उसके बाद पार्लमेंट का शिष्ट-मडलं आया | केबिनेट के बड़ बड़े मंत्री आए] एक बार'फिर संभाओं और परिषदों की धूम मची | नई-नई थोजनाए बनीं । पाकिस्तान की जिस कल्पना को जादू के वृक्ष के समान कायदे आजम ज़िन्ना ने . अंग्रेजी शासन के संहारे पल्लवित किया था, वह्‌ मिटता सा दिखाई दिया। केब्िनेट मिशन योजना की घोषणा हुई ।इस बांत- का ढिंढोरा पीटा गया की अल्पसंख्यकों को देश की स्वाधीनता के मार्ग में रोड़ा बनाने का जो इलजाम अंग्रेजी सरकार पर है, अब बह उससे मुक्त होना चाहती है । पहिली बार और बड़े आह्वयं के साथ हमने इस अभूतपूर्व घटना को घटते हुए देखा कि आजादी के लिए लड़ने वानी कांग्रेस और अंग्रेजी सरकार के द्वारा लाड़ से पाली-पोसी हुई मुस्लिम लीग 'दोनों ने ही केबिनट मिशन योजना को अपनी स्वीकृति दे दी है। स्वराज्य एक बार फिर नजदीक अता हुआ दिखाई दिया । यह निराशा हमें जहूर थी कि जैसा केन्दीय शासन' बनाया जा रहा है बहु कमज़ोर सिद्ध होगा, पर क्षंग्रेजी साम्राज्य के चंगल से हमें छुटकारा मिल रहा था, इसका हमें सन्‍्तोष भी था। पर एक बार फिर घटनाओं का क्रम है जी के साथ बदल चला । एक ब्वार स्वीकार कर लेने के बाद मुस्छिम-लीग ने केबिनेट भिशन योजना को ठुकरा दिया पर केन्द्रीय शासन में कांग्रेस का साभीदार बनने के आग्रह पर वह जमी रही । मुस्लिम लीग की इन दोनों परस्पर विरोधी बातों को अंग्रेजी सरकार ने मात्र लियां। उसके बाद जहाँ एक ओर इन पारस्परिक-विरोधों से भरा हुमा केद्रीय शांसन-तंत्र छड़खड़ाता हुआ आगे बढ़ा, दूसरी ओर कलकत्ता, त्ोआखाली ओर टिपेरा, बिहार और गढ़मुक्तेशवर, और फरिच्रमी पंजाब. की हृदय को हिला देने वाली घटनाएँ हमारे सामने आती गईं ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now