वेद में स्त्रियाँ | Vedh Main Istariya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
180
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गणेशदत्त शर्मा गौड़ - Ganeshdatt Sharma Gaur
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(३)
घान् सन््तान ( १७ ) सदाशयता और मन की पविन्नता ( ३८ ) ईशव-
शेषासना ८ ४९ ) सन्तानोत्पादन ( २० ) आनन्दित रहो ( २१ )
सिवो फे विचार ( २२ ) स्त्रियों के विचार ( २३ ) खियों की चालढारू
(२४ ) धौ दुध का प्रवन्ध ( २५) वार विवाह निषेष ( २६ ) गृह-
स्थाश्रम की नौका ( २७ ) तन मन धन पति फी सेवा मे ( २८ ) चरखा
सूत भौर वख (२९) पुरुषों से श्रेष्ट (३० ) यज्ञ करने की आज्ञा
( ३१ >) विधवाओं का कर्तव्य । भिन्न भिन्न प्रकरणों के इन उपयुक्त शी-
पंकों से ही स्पष्ट है कि इस ग्रन्थ में किन किन विपयों का समुलेख है ।
ष्म यद्धि प्रत्येक वात की समालोचना करने रगेगे तो हमारी विवेचना
से ही ग्रन्थ का आफार द्विगुण हो जायगा । रेखक ने थोडे म ঘন্তুর दाने
का सफल प्रयक्ष किया है और निःसंकोच वे बधाई के पात्र हैं।
परम कारुणिक भगवान् ने गृष्टि कायं पर दणि रखकर जह पुरुषों में
कठोरतादि गुण रखें हैं वहाँ स्त्रियों में कोमलतादि भुणों का विशेष-प्रवेश
रखा है । असली सम्पूर्णता पुरुप ओर ख््ियों के गुणों को मिलाकर ही हो
सकती है। इसीलिये विधाईता जी के लिये 'अर्द्धांडि नी' पद अत्यन्त समुचित
है । ছিল गुणों का प्राधान्य पुरुषों में, तो किन्हीं गुणों का प्राधान्य ख्यो
में देखने को मिलता है| भगवान् की रृष्टि की विचिन्न दशा को अनुभव
करते हुये कट्टना पड़ेगा कि उसने एक भी सर्वाद्रसुन्दर सर्चाक़ परिष्ण
बस्तु नहीं बनायी, जैसे विभिन्न प्रकार के पुष्पों में, किसी में गंध है तो
रूप नहीं, रूप तो गन्ध नहीं, किसी में दोनों हैं तो चिरकाल-
क्षमता नदी, किसी मे वर्णं की स्यायित्ता नदी, दसी प्ररे सय यस्तुभों
की दशा है ! वैदिक प्रणाली में शिक्षा विषय से “লারা को ही सबसे श्रेष्ठ
संमानास्पद-पद दिया गया है। क्योंकि असली तो बच्चा जो कुछ
यनता वह माता के বাদ में कौर गोद में ही बनता हैं। फिर पिता
और गुरु शिक्षा दीक्षा के संपुट भछे ही दिया करें । सबसे पहले घघा
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