नटी की पूजा | Nati Ki Pooja

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Nati Ki Pooja by पं. श्री भगवती - Pt. Shri Bhagwatiरवीन्द्रनाथ ठाकुर - Ravendranath Thakur

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रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दो। तव फिर से एक बार अशोक-चेत्य में दीप जाग; एक सौ श्रमणो को अन्न दूगी, उनके जितने मंत्र हैं सवका एक सिरे से जप कर जाऊंगी। और यदि वह न हो तो জান देवदत्त, फिर चाहे वे सच्चे ही हां अथवा कूठे ! जाऊं, एक वार प्रासाद शिखर पर जाकर देखं, वे कितनी दूर हें ! दोनों का प्रस्थान वोणा हाथ में लिए हुए श्रोमतो का प्रवेश रुतावितान तरे आसन विद्धातो ह दिगन्त पर दृष्टि डालती है श्रोमतो । समय हो गया, तुम लोग आओ । ( अपने सन हो मन गाती है ) निशोथ को कये गेल मने, की जानि को जानि । से कि घुर्मे से कि जागरणे, को जानि को जानि । मालती का प्रवश मालती । तुम श्रीमती हो ? श्रीमतो । हाँ री, क्‍यों, बोल तो | मार्तो । तुमसे गान सीखने के लिये प्रतीहारी ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है।




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