फ़्रांस का इतिहास - 3 | France Ka Itihas -3

France Ka Itihas -3 by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्रकरण २ ११ सफल भी हुआ । जिस समय उसने यह काम प्रारम्भ किया था उस समय उसकी सेना मे १०० सिपाही से अधिक न थे । ४८६ मे उसने सियाध्स नामक एक रामन-सरदार पर आक्रमण किया आर उसको हराकर उसका राज्य अपने अधिकार मे कर लिया । इससे सेलियन-जाति की सहानुभूति उसकी झ्रोर हा गई । उसने दिखा दिया कि एक सुथाग्य सेना- पति के सब गुण उसमे विद्यमान हैं । किर्तु इसके साथ ही उसमे भयकर उम्रता थी । सिसोान्स मे जब विजेता लोग लूट का हिस्सा बॉट रहे थे तब छोबिस ने एक सुन्दर प्याल्ला यो ही अपने हिस्से मे लेना चाहा । एक जमन सिपाही ने इस पर उस प्याले को लेकर प्रथ्वी पर पटक दिया । उसने कहा सरासर अन्याय है । उस समय ता छोबिस चुप द्ोगया किन्तु दिल मे उस बात को रक्‍खे रहा श्रौर एक वष के बाद कृवायद मे मामूला भूल होने से उसी बात की याद दिलाकर उसे गाली मार दी । इससे क्लोबिस की उप्ता वो प्रकट दही होती है साथ ही जमंन-सिपाहियों की स्वतंत्रता का भी अच्छा परिचय मिलता है । फ्रांस के बाल्यकालीन इतिहास मे ही धामिक छड़ाई- कगड़ो का सूत्रपात होगया था । इंसाई-मत मे उस समय दो भेद थे एक एरियन श्रौर दूसरा रोमन-कंथालिक । जमेन- जाति के सभी प्रभावशालों झंग सब एरियन-इसाई-मत को माननेवाले थे । उनकी बढ़ती हुई शक्ति से रोम मे भी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now