पंवार वंश दर्पण | Panwar Vansh Darpan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
136
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ३ )
कुछ पीढिया पिन हैं। इसी से प्रनुमाव क्या जा सकता है कि एसी
और दयालदास के बीच के समय मे चारणो ने वशावत्री यो दिगुशित
करने की क्रूप्रा की थी )
धशावली के आाउवें राता धौम्यपाद को हम नैएसी का धूसऋधि झोर
शिलालिखों का धुमराज माने संवते हैं । लघु सुरपति शायद अ्भिलेखों का
उड़ हो। कितु उनसे पहले और पीछे के चाम प्राप कलित 1
ग्रसितेवौ कै श्रावार पर् मारवाड श्रौर झायूं के परमारों वी वशावज्नी हम
विम्नलिचित रूप मे प्रस्तुत कर सकते हैं ) ২
घूमराज
१ सिधुराज
२ उतलराज
३ अरण्यराज
४ कृष्णराज प्रथम ( वि० स* १०२४ )२
५ घरणीवराह्
६ घुमट ( घर वमद ) उपनाम महीपाल
७५ घघुर
] |
८ पृणापाल (विस १०६६-१२०२) € হালা $০ ভুচইন হুমা
| | (विस १११७-२१)
२ यट वशावली मृष्यत डा० गौरीशडूर हीराचद श्लोमा वी शोध पर
মানেন है। इनमे से शोध का कुछ भाग वे अपन राजप्रुतान के
इतिहास मेने प्रयुक्त कर स्वे थे ।
३ भोम निव सग्रह दवितीय भाग, प्र २४३
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