पंवार वंश दर्पण | Panwar Vansh Darpan

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Panwar Vansh Darpan by डॉ. दशरथ शर्मा - Dr. Dasharatha Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ३ ) कुछ पीढिया पिन हैं। इसी से प्रनुमाव क्या जा सकता है कि एसी और दयालदास के बीच के समय मे चारणो ने वशावत्री यो दिगुशित करने की क्रूप्रा की थी ) धशावली के आाउवें राता धौम्यपाद को हम नैएसी का धूसऋधि झोर शिलालिखों का धुमराज माने संवते हैं । लघु सुरपति शायद अ्भिलेखों का उड़ हो। कितु उनसे पहले और पीछे के चाम प्राप कलित 1 ग्रसितेवौ कै श्रावार पर्‌ मारवाड श्रौर झायूं के परमारों वी वशावज्नी हम विम्नलिचित रूप मे प्रस्तुत कर सकते हैं ) ২ घूमराज १ सिधुराज २ उतलराज ३ अरण्यराज ४ कृष्णराज प्रथम ( वि० स* १०२४ )२ ५ घरणीवराह्‌ ६ घुमट ( घर वमद ) उपनाम महीपाल ७५ घघुर ] | ८ पृणापाल (विस १०६६-१२०२) € হালা $০ ভুচইন হুমা | | (विस १११७-२१) २ यट वशावली मृष्यत डा० गौरीशडूर हीराचद श्लोमा वी शोध पर মানেন है। इनमे से शोध का कुछ भाग वे अपन राजप्रुतान के इतिहास मेने प्रयुक्त कर स्वे थे । ३ भोम निव सग्रह दवितीय भाग, प्र २४३




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