रामराज | Ramraj
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
124
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)হাল হাল ই
मोटा-मोटा वीरारा काट्जां कापण लागता श्रर हिबडा
घडकण लागता । जिणा सप्रदायवाद मे रगीज'र, श्रध सिरधा
में श्राधा होय'र जो अत्याचार किया, सून री नदिया खछकाई,
मदिरा ने तोडचा, भ्रवटावा र साग बढ्ात्कार किया, उण
राजावा माना र तन पर भतंई राज क्रियो द्द, पण उणरं
मन पर राज नी कर सवया । वार वीरता री মাঘানা पाना
पर भई लिरयोडी रेयगो द्द, पण प्रजा र हिवडा पर लिख्योडी
नी है। वारा नाम इतिहास रा पानडा म भलई छप्योडा «हैं,
पण मानखा रै मन में तो कठई निम्ताण तक नी है। राजा राम
र ज्यू वे प्रजा रा हिंवडा म नी बस सक्या । इण कारण इज
भारतवासी न तो वा नयाद कर भ्र न राम रे ज्यू वा री
पूजा श्रचना कर ।
भारत रा लोक जीवण पर राम र जीवण री गहरी छाप
है) श्राप कस्मीरसू लगायन क याङ्कमारी तेव श्ररश्रटकसू
लगायन कटक तक कठ चात्या जाव, सगो जगं प्रापनं
राम रे जीवण रो प्रभाव मित्र ला। राम रा जीवण पर जित्तरा
कविया री कलमा चाली है, उतरी स्यात इज कार दूना महा-
पुशुस र जीवण पर घाली व्दैला । रघुवस् महाकाव्य, भट्टिकाव्य,
महावीर चरिन, उत्तर रामचरित, प्रतिमा न+टक, जानकीहरण,
कु -दभाला, भ्रनघराघन, बालरामायण, हनुमन्नारक, अध्यात्म
रामायण, अदभुत रामायण, झ्रानद रामायण, अर वाल्मीकि
ऐ सगछा ग्रथ राम रा जीवण सू सबध राख भर इणान
অঙ্ক रा सिद्धहस्त कविया लिस्या हैं। फयगत सस्क्रत मे इज
नी पण भारत री कई प्रातीय भासावा मे पण कविये राम-
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