ब्रह्मावर्त क्षेत्र की लोक कलाए एवं लोक संगीत वैशिष्टय | Brahmavart Kshetra Ki Lok Kalain Avam Lok Sangeet
श्रेणी : आलोचनात्मक / Critique, संगीत / Music
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
27.56 MB
कुल पष्ठ :
103
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आन्श्वना सक्सेना - Anshwana Saxena
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रतिष्ठा के प्रयास सक्रिय हैं। गत कुछ बर्षों में, विद्वानों ने लोक रचना के महत्व को
समझा है, साथ ही अपेक्षा भी की है इन आलेखित आकारों के विस्तृत शोध और
अध्ययन की, जिनमें माधुर्य, वैचित्रय के ये प्रतिरूप समय और पीढ़ियों के अन्तराल में
विलुप्त न हो जाएँ । आज आवश्यकता है, नगरीय शिष्ट संस्कृति के चतुर्दिक विकास में
ब्रह्मावर्त जैसे आंचलिक क्षेत्रीय प्रान्तरों के लोक-संस्कारों की प्राज्जलता को अश्षुण्ण रखने
की |
भारतीय चिन्तन में संस्कृति के पर्याय के रूप में आचार-विचार शब्द प्रचलित
रहा। संस्कृति शब्द कल्चर का अनुवाद है। प्राचीन संस्कृत ग़न्थों में इसका कहीं भी
प्रयोग नहीं मिलता है इस प्रकार लोक-संस्कृति का मूलार्थ होगा- लोकाचार अर्थात लोक
में प्रचलित आचार-विचार। यहाँ लोक ग्रामीण अथवा संस्कृति अर्थ में न होकर अपने
... व्यापक अर्थ में प्रयुक्त है। लोक यहाँ जन समस्त कां संकेत है जहाँ तक मानव समाज का.
. प्रसार है वहाँ तक लोक की व्याप्ति है। इसी लोक की आचार-विचार सम्बन्धी क्रियाएँ
जिस समूह चेतना में स्पन्दित होती हैं उसे लोक-संस्कृति कहा जायेगा। इस रूप में यह
वेद से भी आगे का प्रस्थान है। प्रस्थान से भी आगे बढ़कर बीच भाव है। कहने का
तात्पर्य है लोक मूल है वेद का न कि वेद मूल है लोक का । लोक संस्कृति समग्र बोध की
संज्ञा है जिसे हम चैतन्य कहते हैं जो समग्रोपयोगी भजनीय एवं स्वीकार्य बने रहने के लिए
इसका देश काल एवं अवसर के अनुसार स्वरूप संस्कार भी होता रहता है। इस रूप में
. लोक संस्कृति मानव का वह आयाम है जिससे टकराये बिना उसकी यात्रा ( जन्म से मृत्यु
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