विदेशी विद्वान् | Videshi Vidwan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महावीरप्रसाद द्विवेदी - Mahaveerprasad Dvivedi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)হন म्पन्सर ११
পুমা হু डर्ची सामक शहर में २७ एप्रिल হও হী
स्णन्सर का जन्म हुआ। उसका पिता वहाँ एक सदरसे #
अध्यापक था और चचा पादरी था | ख अधिक था । स्कूल
क सकरा स जा अमदन हेती थी सस कयन चरता
श्रा} इससे स्वन्मर का पिना लकं क चरर जाकर फंडाया
करता था | इफसे अधिक मिद्दनत पड़ती थी, जिसका फल
य न्रा कि बद्च दीमार हो। गया और सदरसे से उसे इस्तेफा
दे दमा ५३ : जब उसकी तबीयत कुछ धच्छी हुई तब उससे
कन्माब्तत की डोशिया तेयार करने का एक कारखाना खोला |
उसमें उसे लुकुसान हुआ | जिसने जन्म भर अश्रध्ययत अब
स्र्यापन किया उससे इस तरह के ऋम जल আল বা জঙ্গল
गे? अन्त में कारखाना वन््द करना पड़ा । तब स्पेन्मर के
पिता ने अपन। एक भदरसा अलग साल लिया। इसमें उसे
कामयाबी हुई और धर का खर्च अच्छी तरह चजछ्तने लगा !
वर स्पेन्सर लद्कपन में बहुत कमज़ार था | सात-अाद
कप की उम्र तक उसने कुछ भी लहों पढ़ा-लिखा । उसको
कमज़ोरी देखकर उमका पिता भी कुछ त कहता था । उसने
अपने लक पर पढने खिखने के लिए कभी दबाव नहीं डाला ।
লক্ষ জা হাল কী আদ में विज्ञान का चसका लग गया था |
बच दुग्दुर तक धुमने निकल जाया करता था और तरह-तरह
के की हं-मक्ना्ड और पौधे क्ञाकर घर पर जमा करता था। इसी
का उसकी चिज्ञान-शिक्षा का प्रारम्भ समक्तिए। पिता इस
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