वैज्ञानिक गाथाएँ | Vaigyanik Gathayen

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Vaigyanik Gathayen by श्रवण कुमार - Shravan kumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दलीद्रार का झाविप्कार फिनले मोसे ९५ ০ স্পা তি পি কি সি সিকা আন্টি পিসি স্পা সত সিসি সি উপ সত পা সপ সি সি সা তি সপ পিস সস সি অসি अपने कुछ चने हुये मित्रों को बुलाया । उनके सामने उसने अपनी मशीन को दिखाया । मशीन को काये करते देख मित्र आञ्चयं चकिते रह गये । वह्‌ हसते हये चौले क्या तुम्हारी मशीन घर से वाहर भी कार्य करती है । मेरे विचारमे तो कर्‌ सकती हो परन्तु मे अभी तक इस प्रकार का प्रयोग तहीं कर सका हूं। यदि मुझे दस मील लम्बा तार मिल जाये तो मैं उस पर प्रयोग करके देख लूगा। वैसे मुझे विश्वास है कि मैं यही पर वेठा-वेठा सारे दिग्व भे समाचार भेज सकूया । उसके मित्रों मे एलफ्रेंड ब्रेल नामक एक युवक था। उसने उसे एक वहत बढिया मश्षीन तेयार करवा दी । उसने अपनी मशीन का नाम रखा श्रमसेकी विद्य त-चूम्बकीय तार मशोना इसके पद्चात उसने अपने अ्रविष्कार को एटेण्णट छारवाने के लिये श्रमरीक्ा की सरकार के पास प्राएना पत्र नी भेज दिया । सन्‌ ५८६८ में नई सत्लीव का सर्वप्रथम তীয় त्रा 1र दह उप सफल रहा । इससे उत्साहित होकर उसने ने अपनी पत्तीन दी प्रदर्नी का श्रायोजन किया! जा ११ হাল > भ अ भरिका --+~+ >~ নি पु | भदशनों मे अमरिका के बड़े-बड़े लोगो ने भाग लिया। उनसर मर ५ ५, द {र সস गदः ष्य कथ यि ककण मंतीन = दे রি) प्यर्‌ द वार दो राय दो कि इस मज्ञीन को खरीद लेना




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