सुधार | Sudhar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : सुधार  - Sudhar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मन्मथनाथ गुप्त - Manmathnath Gupta

Add Infomation AboutManmathnath Gupta

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
सुधार १३ लिये जल्दी से बीच में पड़ते हुए उसने कहा--जो लोग चन्द्रमा के अन्दर कौन-कोन धातु है बतला देते हैं, क्या वे चन्द्रमा में गये हुए. होते हैं, यदि हर बात को जाकर ही पता लगाना पड़े तो फिर विज्ञान या कला की करामात ही क्या रही ! वेज्ञानिकों ने हमारी इस प्रथिवी को माशे रत्ती तक तोल डाला है, क्या उन लोगों को इसके लिये पृथिवी को एक तराजू पर रखने की जरूरत पड़ी ! जवाब उचित था; नरेन्द्र को सन्‍्तोष भी हो गया या, इतने में किशोर के मना करते-करते अरिन्दम ने कह डाला--हाँ, मैं वेश्या के. घर गया था इस बात से सारे कमरे में इतना आश्वय क्या आतंक छा गया, जेसे कोई बम कमरे में गिरा हो। किशोर का चेहरा सफेद पड़ गया, मानो उसका सर्वनाश हो गया द्वो, उसने घूमकर देखा कमरे म॑ राम- नारायण था | श्रमी यह धूमकर सारे शद्दर में यह बात फैलायेगा | रूप- कुमारी ने मुह बिचकाकर सिर नीचा कर लिया, रामानारायण उसकी: ओर देखकर हँसा मानों कह रहा था--क्यों ! दूसरे सब अचम्मे में. थे। नरेन्द्र प्रश्न के उत्तर को ठीक समझ न सका। उसने कहा-- स्यां किशोर कुछु कहना ही चाहता था किं रामनारायण ने कदा-- कलाकारों के लिये सब जायज़ है | कलाकार मामूली सब नियमों से बरी है, यदि ऐसा न हो और कलाकार केवल कव्पना की उड़ाने भरें तो कला तथ्य से दूर होने के कारण रक्ताव्पता रोग से पीड़ित होकर निर्जीब हो जायगी फिर उसमें अखिल विश्व के तड़पते प्राणों का स्पन्दन न सुन पड़ सकेगा | किशोर विशेषकर रामनारायण के मुह से यह व्याख्या सुनने को तैयार नदीं था, वह जानता था रामनारायण सन्दिग्ध चरि का व्यक्ति है । वह इस बात से परेशान था कि वह इस गोष्ठी में कहाँ से आ मरा । उसने चिल्लाकर कद्दा--जी नहीं १ कल्लाकार मामूली नियमों.




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now