ग्रामपाठशाला और निकृष्ट नौकरी नाटक | Grampathshala Aur Nikrisht Naukri Natak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
48
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)পন अर.
( १३ )
पर पढ़ावत हते वोह १४ दिन तें अपने घर कं गये
र कष्टां सरकार तुम्हार कहां से आउब होत है
डर मे अपनी अनाज की डलिया ठकता है) तद्ध
सोलदारी से ? |
सुदरिस - नहीं, भाई मैं यहां का सुदर्रिस जो के आण हूं।
बनियां- (कुद चैतन्य होकर) तो सरकार सोकेही डगरा
धर लें ।
।
( मजलूम वहां पहुंचकर दार पर खड़े होते हैं और
सोवालकसिंद को पूछते हैं उन्हें खड़े देखकर एक लड़का
| घर सें दोड़कर जाता है ओर ठाकुर को वुला लाता है )
सोवालकसिंह - मियांसाहव तुहार कहां से आउब होत
है, आवह | वैठह ( लड़के से बोले कि घर में से पीढ़ी
लेआ )
मुदरिस - ( बैठकर ) ठाकुर साहब सें शहर से यहां का
मुदरिस हो के आया हं ।
सीवालक ०- ( इका पीते हुये ) तुद्दार आउव नोक भयो
(घोसी आवाज से जुबान दावकरो) परन्तु मियांसाहव
इदां तो कोड पट्तदी नांय है हमरेडी ऐ इय छोरा
तह्सोलदार साहब के हुकम ते पढ़त हैं সত্ব
विचारू लाला बड़ो समर करत हते पर कोडर्नयि
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