ग्रामपाठशाला और निकृष्ट नौकरी नाटक | Grampathshala Aur Nikrisht Naukri Natak

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Grampathshala Aur Nikrisht Naukri Natak by काशी - Kashi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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পন अर. ( १३ ) पर पढ़ावत हते वोह १४ दिन तें अपने घर कं गये र कष्टां सरकार तुम्हार कहां से आउब होत है डर मे अपनी अनाज की डलिया ठकता है) तद्ध सोलदारी से ? | सुदरिस - नहीं, भाई मैं यहां का सुदर्रिस जो के आण हूं। बनियां- (कुद चैतन्य होकर) तो सरकार सोकेही डगरा धर लें । । ( मजलूम वहां पहुंचकर दार पर खड़े होते हैं और सोवालकसिंद को पूछते हैं उन्हें खड़े देखकर एक लड़का | घर सें दोड़कर जाता है ओर ठाकुर को वुला लाता है ) सोवालकसिंह - मियांसाहव तुहार कहां से आउब होत है, आवह | वैठह ( लड़के से बोले कि घर में से पीढ़ी लेआ ) मुदरिस - ( बैठकर ) ठाकुर साहब सें शहर से यहां का मुदरिस हो के आया हं । सीवालक ०- ( इका पीते हुये ) तुद्दार आउव नोक भयो (घोसी आवाज से जुबान दावकरो) परन्तु मियांसाहव इदां तो कोड पट्तदी नांय है हमरेडी ऐ इय छोरा तह्सोलदार साहब के हुकम ते पढ़त हैं সত্ব विचारू लाला बड़ो समर करत हते पर कोडर्नयि




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