अच्युत | Achyut
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भाषि० ३२ १ू० १२) शाक्वरभाष्य-रत्नप्रभा-सापानुवादसहित ५८३
नक ननि या
ण का 0 दथा प অপি ৯ শর্ত তি সির ইত সি সির ५ তা সপ ५ ५ + ५ ^ + আসল সপ উপ সিল এটা ५८ ५८ ५ সা সর্প ভিলা ५ ५८५ ५.
माध्य
(ब ° ३।८।८) इति चोपाधिमत्ताप्रतिषेधात् । नहि निरुपाधिकः शारीरो
नाम भवति । तस्मात् परमेव ब्रह्म अक्षरमिति नियः ॥ १२॥
भाष्यका अनुवाद
मन नहीं है ) इस प्रकार अक्षरमें उपाधिका प्रतिषेध किया है। उपाथिके
बिना जीवत्व संभव नहीं है। इससे निश्चित होता है कि अक्षरशब्दवाच्य
परब्रह्म ही है ॥ १२॥
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रलप्रभा
नहीति। शोषिते जीवत्व॑ नास्तीत्यर्थ:। तस्माद् गार्गित्राक्षण॑ निर्गुणाक्षरे
समन्वितमिति सिद्धम् ॥१२॥ (३) ॥
रतनप्रमाका अनुवाद
नहीं, इसपर कहते हैं---' नहि” इत्यादि । शोधितमें जीवत्व द नदीं दै अथात् जीव
उपाधिरहित नदी है ओर ज शोधित- निरुपाधिक दै, वह जीव नहीं हें । इससे सिद्ध हुआ
कि गा्भिब्राह्मण निगुण अक्षरम समन्वित दै ॥१२॥
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