ताराबाई | Tarabai
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
183
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहला अंक । पहला रश्य ।
'जयमलः, तीनां कुरर राज्य चित्तोरके ।
राना जो हा, प्राप्त राज्य-लक्ष्मी करे,
तारा है उपयुक्त उसीके कामिनी ।
तम ०-- क्यों, क्या राना निबिवाद् काइ नहीं
सूय०--
तस०---
ही सकता हैं ?
ठोक जान पड़ता नहीं ।
ज टल समस्या, भाग्यचक्रका फेर है ।
छोटा जयमल, नीच प्रकृतिका, प्रिय वही
रानाका । प्रथ्वो उदार निर्भीक है,
किन्तु असंयत हे स्वभाव, चलता सदा
श्मोरराकी ही मान मन्त्रणा | संग ही
है सुशील गुणवान । किन्तु उस पर नहीं
रानाका है प्यार । कीन फिर कह सके---
राना होगा कोन ?
पुरानी चाल है--
पुत्र बड़ा ही सदा राज्य पाया कर ।
सूर्य ०--मानेगा फिर कोन पुरानो चालको,
राना अपने हाथ पिन्हादें जो मुकुट
जयमलको ? इच्छा प्रधान है भूपको।
जयमलको ही प्रजा जानतो, मानतो
अपना भावी थूप | किन्तु क्या संग दी
जन्म-स्वत्वको सहज छोड़ देगा भला !
प्रवो ही या शान्त रहेगा साधु हो !
तम ०- प्रथ्वोका क्या स्वत्व !?
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