गृहस्थी की तस्वीरें | Grihasthi Ki Tasveeren
श्रेणी : शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
257
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री व्यथित हृदय - Shri Vyathit Hridy
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)७ ग्रहस्थी की तस्वीर
दृष्टि से निहार उठी, ओर बादल के ही स्वर में बोल उठी, कहो,
बादछ ।
बादुछ कुछ ओर नीचे झुका; और उसके पास पहुँच कर জীভ
उठा, तुम झछस गईं हो मेदिनी '
ओर तुम भी जजेर से हो गये हो बादल '--मेदि्नी ने कुछ छजा कर
उत्तर दिया ।
बादल ने अपना मुख आगे बढाया । सेदिनी छ न बो ।
নানু को एेसा र्गा, जेसे उसका स्वप्न पूरा दो रहा है, ओर उसका
अधूरा जीवन । बादल को ऐसा भी लगा, जेसे उसके जीवन की
व्यथा घुलती जा रही है, और बुझती जा रही है, उसके अभाव की
आग ! बादल ने उत्कंठा से रछक कर अपनी दोनों भुजि आगे
बहा दी, पर वादर का स्वप्न...
बादर उठ कर वेठ गया 1 ओर उन्मत्त की भोति इधर-उधर
देखने खगा । उसने सामने देखा, नीचा अम्बर फेला हुआ था, और
वह स्वयं उस नीरे अम्बर के एक कोने में चुपचाप पड़ा था । बाद
सोचने छगा--वह् स्वप्न । मेदिनी । वह मेदिनी ! यदि जाग्रत
अवस्था में भी मिल सकती वह मेदिनी ।
बादल ने एक ठंढी आह भर कर नीचे को ओर झाँका | वाद्ल
विस्मय चकित हो उठा । उसने देखा, स्वर्ण परिधनों का घूँघट ओढ़े
हुये कोई नीचे खड़ा हे ।
चाद उठ कर बैठ गया, और कुछ देर तक ध्यान से उसकी ओर
देखकर नीच की ओर झुक पड़ा। वादरक उसके सजल्निकट पहुँच कर
विस्मय की मुद्रा से उसे देखने र्गा, कुछ कर्णो तक उसे देखता रहा
फिर विस्मय के स्वरमे वोर उठा-कोन¶ तुम तुम 1
उसने भी बादल को विस्मय की दृष्टि से देखा | उसका दृष्टिपात !
वादर को एेसा लगा, मानों वह फिर स्वप्न देख रहा हो ' बादल ने
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