श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तर माला तृतीय भाग | Shri Jain Siddhant Prashnottar Mala Bhag 3

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Shri Jain Siddhant Prashnottar Mala Bhag 3 by मगन लाल जैन - Maganlal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१५ गुणस्थान चीया 2 7) ११ ११ पांचवॉ र्ब सातवां आर्यो नच्च दसर्वों ग्यारहवाँ वारदवाों নন चीदद्बों [ च | चारित्रमें सम्यक्॒ शब्द क्या सूचित करता है १ चारित्रका लक्षण (स्वरूप) चारित्र मोहनीयके उपणम तथा क्षयकी आत्माके कौनसे भाव निमित्त हैं ! {ज |] जगत्तमे मव भवितन्य (नियति) आधीन है इसलिये धर्म होना दोगा तो दोगा-यदह मान्यता ठीक है ९ जीचको धर्म सममनेके लिये क्या क्रम है † जीव द्रव्यको सप्रभमीमे जीव जर शरीरम अनेकान्त जीवका क्षायिक ज्ञान, सर्वज्ञताकी महिमा-परिदिष्ट जीवके असाधारण भाव २१३ २१४ २१५ २१६ २३० २२१ २३२ २३३ २३४ २३५ २३६ १५७ १६७ श्श्८ १२३ १४३ ११० श्श्८ স্ব १०४५ १७४- १८०




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