व्यष्टि - अर्थशास्त्र | Vyasist Arth Shastra

Vyasist Arth Shastra by लक्ष्मीनारायण नाथूराम - Lakshminarayan Nathuram

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अवब्यव्रसेदा वी गाधारभूव ভুলতে ॐ दोनो वस्तुओ के विभिन्न सयोग 4 से # वे बीच में पाये जाते हैं। एक देश युद्ध-काल मे सम्भवत मं वे ८ बिन्दु चुनैगा ताकि वह अधिक बन्दूर्के बथवा अधिक मात्रा मे युद्ध-सामग्री बना सके और शान्तिकात में 9 या 2 विन्दु चुनेगा ताकि वह अधिक मक्वन अथवा नागरिक उपभोग की अधिक वबस्तुएँ उत्पादित कर सके | अत एक देश अपनी आवश्यकताओं के अनुसार ही उत्पादन करना चाहगा। यह स्मरण रखना होगा कि उत्पादन-सम्मावना वक् एक अधिकतम की सम्मावना (पापात्‌ एर} को व्यक्त करता है 1 इसका भयं यट है करि दी हुई उत्पादन-तवनीक का उपयोग करने रागव के पूर्ण उपयोग की स्थिति म एक समाज दो वस्तुओ वी अधिकतम माजाओ के जो सयोग उत्पन्न कर शकता है वे एक उत्पादत-सम्मावना बक्र 3 हारा दर्शाय जाव , हैं। ये सयोग चित्र | मं, 8, ८, 2, £ व हुये सावनो के पूण उपयाय व कायनुयन তশমীম (থি]| 05০ 200. 0০160 ए5८) को प्रकट करत हैं । अत एकर उल्यादन गम्मावना वफ साधारणतया माथि राघनौ के पूर्ण उपयोग (011 ০1019) ০1 10590505) কটা ঘশা কা ही द्योतक होता है । लेकिन यदि कोई समाज जान-लूझकर अपने 2 था ‡ साधन वकार अक्‍स्या में पड़े रखना चाहें तो उस ध्यिति के लायक पहले নক के नीचे एक दूणा उत्पादन सम्भावना वक़ बनाया जा सकता (+ 1 चिथ 1 में 1/ बिन्दु वकर के नीचे के भाग में स्थित हैं । इसका अये यह है वि समाज जपने साधनो का पूर्णं उपयोग नही कर पा रहा है, बुद्धं साधन चेकार पडे ह जयवा उनका पूर्ण कार्यकुशलता से उपयोग नही हो रहा है । ४ बिन्दु पर मक्वन व बन्दूक दोनो की मानाएँ कम हैं । यह বিদ্তু মুল बिन्दु के जितना समीप होगा, अर्थव्यवस्था में साधनों को उतनी ही अधिक अकार्यकुशलता (7८वट८॥८४) प्रकट होगी अथवा साघन उतनी ही अधिक भात्रा म बेकार पढे होगे । 4 विन्दु जितना उत्पादन-सम्भावना वक्र के समीप होगा, साधनो की उनी हौ भयिक कार्यकुशलता अथवा साधनों के अधिक उपयोग की स्थिति प्रकट होगी । अत /४ जैसे बिन्दु साधनों के कम अथवा घटिया उपयोग को सूचित करते हैं। ऐसे देश का पहला काम थह होना चाहिए कि वह # से # बिन्दु अथवा वक्र के किसी अन्य विन्दु की तरफ बढें। বিঙ্গ ঈ /४ बिन्दु वक्र से ऊपर की ओर दायीं तरफ स्थित है। यह एक ऐसा बिन्दु है जिसे फिलहाल साघनो के अभाव मे प्राप्त नही किया जा सक्ता 1 समाज अपने माधिक साधन बढ़ाकर अथवा उत्पादन वी तकनीक मे आवद्यक सुधार करके ‰ यिन्दु परर धन्व सकता है । अमरीका व' जापान अंसे देश अपने साधन बेडाकर एव विज्ञान व तकनीक का उगयोग करतः तया उत्पादन की विधियों मं सुधार करके न वेवल 2४ जैसे बिन्दुओं को प्राप्त कर सके हैं, बल्कि वे उत्तरात्तर ऊँचे वको पर पहुँचते गये हैं। अर्थात्‌ उनके उत्पादन सम्भावना चक्र निरन्तर ऊपर की ओर खिसक्ते गये हैं। ऐसा उन देशों में आथिक विकास के कारण ही सम्भव हो सका है । यह स्थिति निम्न चित्र में दर्शायी गयी है ५ এ > 4, इत्पादमन्सम्धावनर वक का [3 ऊपर की ओर घखिसवना ০ লাই मक्खन (लाख किलों म) चित्र 2--उत्पादन-सम्मावदा वक़ का उपर बी শীত আলা




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