ब्रह्मसूत्राणि | Brahmasutrani
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
208
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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ॐ
अथ ब्रह्मसु ाणि.
भाषाटीकासहितानि ।
नदि अ (य
प्रथमोऽध्यायः १.
प्रथमः पादः ।
ॐ-अथातो ब्रह्मजिज्ञाप्ता ॥ १ ॥
रणस्य सचिदानंद गुरं चाज्ञाननाराकम् ॥
सारार्थबह्मसूत्राणां कथयामि यथामति ॥ 4 ॥
इस सृत्रके-अथ१अतःर बल्लानिज्ञासा श्यह तीन पद हैं ॥ अथे
शब्दका आनंतये अर्थं दे । अतः शब्दका हेतु अथं हे । ब्रह्मजिज्ञासा
शब्दका अर्थ ब्रह्को विषय करनेवाली इच्छा हे । केन्य पदका
अध्याहार करना ॥ तथाच ॥ यस्मात् अगिहोादिकोंका फर जो
स्वगांदिकं सो अनित्य है तस्मात धर्मजिज्ञासाके अनंतर अथवा
साधनसंपत्तिके अनतर ब्रह्मकी जिज्ञासा ( जाननेकी इच्छा ) करनी
अथवा ब्रह्मका विचार करना यह सूत्रका साराथं है ॥ १॥
प्रथम तमे कदा है फ जद्मकी जिज्ञासा युधुश्चु पुरुषको करने
योग्य है तिस ब्रह्मका लक्षण क्या है अतः भगवान सूत्रकार त्रह्मको
तटस्थ रक्षण कहते दं ॥
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