प्राणायाम | Pranayam

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : प्राणायाम  - Pranayam

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्रीदुलारेलाल भार्गव - Shridularelal Bhargav

Add Infomation AboutShridularelal Bhargav

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्राणायाम अथोतू रवासनवज्ञान ाभदयमगागभ्वान गे दपाम्थयमिमाओ पहला अध्याय जय हो झाजकल इमारे भारतवर्ष का साघारण जनसमुदाय योग से इतनी दूर हट गया है कि इसको श्रोर लोगों के इृदय में नाना प्रकार के कुभाव उत्पन्न दो गए हैं। योगी नाम घारण करनेवाले नाना प्रकार के मनुष्य दिखलाई पढ़ते हैं । कद्दीं कोई गेरुआ पहने, सारंगी लिप दुए, भरथरी, रोपीचंद डार मदादेवजी के गीत गाता फिरता है, श्रौर झवसर पाकर नाना प्रकार के दंद-फंद से लोगों को ठगता फिरता है कई्दीं कोई गेरुझा वस्नघारी संन्यासी-वेश में घूमता है, श्र मुद्द से अथवा गले से शालप्राम को मूर्ति निकाल- कर झपनी सिद्धता दिखलाता श्र भोलेमाले मनुष्यों को झपना शिकार बनाता है। पएकश्ाध जगह ऐसे भी मनुष्य पाए जाते हैं, जो काँटे की शेया बनाकर उस पर सोते हैं, श्र झपने महरव का रोब जमाते हैं; कहीं कोई पैर ऊपर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now