भारत का इतिहास | Bharat Ka Itihas
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16.15 MB
कुल पष्ठ :
848
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रारभिक काल पापाण युग में भारत पुरापाधघाणयुमीन स्थलिया भारत ससार की सबसे प्राचीन सम्यताओ मे से एक की जन्मभूमि है-- यहा एक ऐसी अति विकसित सस्कृति ने रूप लिया जिसने इस देश के आगामी विकास पर और मध्य तथा दक्षिण पूर्वी एक्षिया और पूर्व तथा सुद्दर पूर्व के अनेक जनगण की सस्कृतियों पर जबरदस्त प्रभाव डाला । पुरातात्विक खोजो से पता चलता है कि भारत मे प्राचीनतम काल मे भी मनुप्य का निवास था। देश के कई भागों मे पूर्वपुरापापाणयुगीन प्रस्तर उपकरण खोजे गये हैं। पूर्पपुरापापाण सस्कृति के दो केद्र एक दूसरे से स्वतत्र रुप में उभरकर सामने आते हैं -उत्तर मे सोन या सोहन सस्कृति वर्तमान पार्षिस्तान मे सोहन नदी के किनारे और दक्षिण में दकन मे तथाकथित मद्रास सस्कृति । थे पुरापापाण स्थलिया नदियो की घाटियों मे थी जो मानव जीवन के लिए अधिक अनुकूल परिस्थितिया उपलब्ध करती थी। इनमे से पहली स्थली १८६३ मे मद्रास मे खोजी गयी थी और इसी कारण दक्षिण भारत मे मिले पूर्वपुरापापाण युग के लाक्षणिक प्रस्तर उपकरण - हस्तवुठार - मद्ास कुठारो के नाम से विज्ञात हुए। देश के उत्तरी भागों की प्रुरापापाण स्थलियो मे बिलकुल दूसरी तरह के उपकरण - बडे-वडे वटिकाइम कर्तन उपकरण - मिले थे जो खडक कहलाते है। पुरापापाण उपकरण देश के अन्य भागों में भी मिले हैं-मध्य तथा पश्चिमी भारत मे जहा मानो सोहन और मद्रास परपराओ का अतर््रथन होता है। नये अनुसधान ने दिखलाया है कि दक्षिण मे मद्रास कुठारो का प्राधान्य है और जैसे-जैसे हम उत्तर की तरफ बढ़ते है वैसे-वैसे सोहन उपकरणों की सख्या बढती जाती है। श्७
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