दक्षिण भारत का वृहत इतिहास | Dakshin Bharat Ka brahat Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रारम्भिक नरेश : साल, विनयादित्य एरेयंग, वल्लाल प्रथम, विष्णु वर्धन उपनाम विड्रिंग नरसिंह देव प्रथम, वल्लाल द्वितीय, नरसिंह द्वितीय, सोमेश्वर उपनाम सोविदेव, नरसिंह तृतीय, वल्लाल तृतीय | कि 22. कदम्ब राजवंश 335-34 वनवासी के कदम्ब : राजवंशीय इतिहास, मयूर शर्मन, कंगवर्मन, भगीरथ, रघु, काकुस्थवर्मनू, शान्तिवर्मन, मृगेशवर्मनू, रविवर्मन्‌ हरिवर्मन्‌ त्रिपर्वत हलेविड शाखा के कदम्ब: कृष्णवर्मन प्रथम, कृष्णवर्मन्‌ के उत्तराधिकारी नृपतिगण परवर्ती कदम्ब राजवंश | 23. पश्चिमी गंग राजवंश 342-348 प्रारम्भिक शासक : कोंगुणिवर्मन, माधव प्रथम, हरिवर्मन, माधव द्वितीय, विष्णुगोप, माधव तृतीय, अविनीत, दुर्विनीत, मुष्कर, पोलवीर, विक्रम, भूविक्रम, शिवमार प्रथम, श्रीपुरुष, शिवमार द्वितीय, मारसिंह, राजमल्ल प्रथम, नीतिमार्ग एरेगंग, राजमल्ल द्वितीय, एरेयप्प गंग के उत्तराधिकारी, वूतुग द्वितीय, वूतुग द्वितीय के उत्तराधिकारी, तलवाड़ के गंग राज्य का पतन, कलिंग के पूर्वी गंग | 24. विजयनगर साम्राज्य 349-367 उदय एवं समसामयिक परिस्थितियाँ, संगम वंश, बुक्का, हरिहर दितीय, देवराय प्रथम, द्वितीय मल्लिकार्जुन विरुपाक्ष द्वितीय, सालुव वंश सालुव नरसिंह, इम्मडि नरसिंह, तुलुव वंश : वीर नरसिंह, कृष्ण देवराय, मूल्यांकन, अच्नदेव राय, '. सदाशिव, अंड विदु-वंश, विजयनगर साम्राज्य : शासन प्रबन्ध, समाज एवं संस्कृति, सामाजिक व्यवस्था, दास प्रथा, ख््रियों की दशा, गणिका प्रथा, सती प्रथा, वेशभूषा, शिक्षा व्यवस्था तथा मनोरंजन, सामाजिक समस्‍यायें एवं उनका निदान; आर्थिक व्यवस्था, काश्तकारी एवं भू-स्वामित्व, शासन व्यवस्था, केन्द्रीय प्रशासन व्यवस्था, प्रान्तीय प्रशासन, स्थानीय शासन व्यवस्था, राजस्व व्यवस्था । 25. श्री आय शहटराचार्य 368-373 जन्म और बाल्यकाल, शंकराचार्य का अवतरण महान्‌ विभूति के रूप में हुआ शंकराचार्य-विरचित प्रधान-ग्रन्थ, शंकराचार्य एवं अद्वैतवेदान्त, अद्वैत सिद्धांत आता एवं अनाता, ज्ञान और अज्ञान, साधन, भक्ति, कर्म और सन्यास स्मृतिमत, दशनामी शिष्य-परम्परा । परिशिष्ट जा शिलप्पदिकारमू 374-376 परिशिष्ट - पा के मणिमेकलै 377-378 परिशिष्ट ४ ** है ...... सत्तविलास , ३. 379-380 26. संदर्भ ग्रन्थ सूची की कि 38-39.




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