रोग निवारण | Rog Nivaran
श्रेणी : स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
53.31 MB
कुल पष्ठ :
1042
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्ाहार दे अ० दि० पीने से मूत्र ३ पा० बनता है । मूत्र का इतनी मात्रा मे प्र० दि० चनना आवश्यक है | रोगी के काय॑ के अलुकूल तथा भार के अनुसार कैलोरी एंक्10- शप6 की प्र० दि० की मात्रा --शेय्या पर विश्राम करने वाले रोगी झथवा मोटे मनुष्य मे १२ कैलोरी प्र० से० भा० प्र० दि० तथा श्धघिक परिश्रम करन चाले या दुबले मनुष्य मे ३० विश्रामप्रिय मे १५ साधारण परिश्रम करने वाले से २४५ तथा अत्यधिक परिश्रम करने वाले मे ३५. कंलोरी प्र० से० भाग प्र० दि० तक श्रावश्यकता पढ़तो है । विशेष परिस्थियोँ के ाहारः--श्ाहार-जन्य अ्रचूजता 8.116785 से जिस पदार्थ के कारण द्रनूजंता होती है उसका प्रयोग नहीं करना ्वाहिये । अचूर्जता के कारण दमा पामा फिएद6009 शीतपित्त एिंएक्रामक आदि रोग होते हैं। प्रपाचीय घ्रण ७0980 पाठ०0 सम्रहणी छुफ्प6 म्रवाहिका 12 1 श्रादि प्चन-संस्थान के रोगों में विशेष श्राह्मार की झाव- श्यकता पढ़ती है। उच्च रक्त-निपीड़ 3.1. इक्कशोथ ७0775 दक्षिण दृदयातिपात कर 0 2 छिपए6 तथा शोफ 06808 रहने पर लवण 1९७01 रहित आहार देना पडता है | कब्ज रहने पर फल तरकारी थ्रादि श्रघिक प्रयोग करना चाहिये जिससे भोजन पच जाने के पश्चात् त्र में अधिक मात्रा मे श्रवशेष ऊि680प6 बच जाये श्र मल परि- त्याग करने में सरलता हो । दुर्बल मनुष्यों में प्रोटीन 1रिफ बसा किकरधि जीवतिक्तियाँ ४16 । तथा कैलोरी 010776 की मात्रा अधिक होनी चाहिये । मोटे सनुष्यो में वसा 1४ तथा कैलोरी की मात्रा कम होनी चाहिये । यकृत के रोग मे वसा की मात्रा कम प्रोटीन कार्बोज 0 तथा जीवतिक्ति बी एप 1 छि की सारा अधिक होनी चाहिये । पित्ता- शय ५9 09घतत७7 के रोगो मे वसा की मात्रा कम तथा जीवतिक्ति सी इज । 0 की सात्रा अधिक होनी चाहिये श्र भोजन वायु उसन्न करने वाला नहीं होना चाहिये । मधुमेह 129906068 मे कार्भोज १ 0 की मात्रा साधारण तथा प्रोटीन की सात्रा झधिक होनी चाहिये | उक्कशोथ में भोजन में स्वस्थ मनुष्य को जितनी प्रोटीन ६ की श्ाव- स्यकता पढ़ती है उसकी आधी सात्रा तथा रोग के कारण मूत्र द्वारा जितनी टीन का परिस्याग होता हो उतना प्रोटीन देना चाहिये 1
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