राजस्थान का इतिहास | Rajasthan Ka Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ब0. रण राव चूंडा 124-133 प्रस्तावना मारवाड़ की दशा चुडा के पूर्वज आरम्भिक विजय--पाली विजय मण्टोर विजय भीनमाल विजय अन्य शक्तियों पर आतंक प्रारम्भिक जीवन--वठोर बचपन सालोडी की जागीर मरब घोड़ों के काफिले की लूट विवाह परिहारों से स्थाई मित्रता दीर्घकालीन शासन चूड़ा की विजय मण्डोर विजय घास की कहानी प्रतिप्ठा स्थापित मण्डोर विजय के परिणाम शक्ति का केन्द्र. परिहारीं की शत्रुता समाप्त राज्य विस्तार विस्तार का केन्द्र मण्डोर अन्य विजय--नागौर खादू डीडवाना सांभर फलोदी- विजय चू डा का व्यक्तित्व-- योग्य सेनापति कुशल शासक निपुण राजनीतिज्ञ भाग्यशाली व्यक्ति सामन्त प्रथा प्रगाद प्रेमी स्त्री के वशीशुत--चरित्र की दुर्बलता । राणी सांगा है 134-154 परिचय प्रारम्भिक जीवन महत्त्वपूर्ण कार्य--हिन्दू पद आशा- वादी संदेश हिंस्दू परम्परा हिन्दू राज्य संस्कृति की रक्षा सीमित अधिकार सा म्राज्यवादी भावना मालवा और सांगा-- मालवा की दशा मालवा से युद्ध के कारण--पुरानी शत्रुता साम्राज्य बढाने की. इच्छा मालवा का उत्तराधिकार युद्ध नथ्यूमंल की मृत्यु युद्ध--गागरीन का युद्ध महमूद को पराजय परिणाम _सांगा और गुजरात--युद्ध के कारर्ण--राजनीतिक प्रतिस्पर्धा नथ्यू की हत्या मे सहायता नागौर का प्रश्न ईडर का प्रश्न युद्ध--ईडर विजय अहमदतगर विजय मन्दसीर का युद्ध--सन्धी परिणाम साँगा और इब्राहीम लोदी--युद्ध के कारण भारत विजय में मेवाड़ कोटा सांगा की नीति कमजोर मालवा युद्ध--इब्राहीम की दो हारें परिणाम--सांगा का महत्व बढ़ा सांगा और बाबर--खानवा का युद्ध कारण हिन्दू राज्य बावर की कठिनाईया सागा की वादाखिलाफी बयाना का प्रश्न पठान सरदार सागा की शक्ति युद्ध--खानवा का युद्ध वावर की विजय परिणाम--राजपूत एकता समाप्त मुगल साम्राज्य की स्थापना राजपुत शक्ति का अन्त 1




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