जातक - कथा | Jatak Katha
श्रेणी : कहानियाँ / Stories, लोककथा / Folklore
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.37 MB
कुल पष्ठ :
218
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बज. यो
सूप
झन दया
ऊन देह
'जातक-कथा
११८६
् चजारा
अतीत काल सें काशी देश से वाराणसी ( बनारस ) नाम का एफ
नगर था । उसमें राजा घद्मदत्त राज्य फरता था ) चोधिसत्य उस समय गये
चंजारे के घर पंढा हुए थे ।
प्राप्त होने पर उन्होंने ध्यापार करना शुरू किया । बंद शास-पास
दी प्रान्तो सें, कभी इस प्रान्त सें कभी उस ध्रानन में घसदर परे
थे । इस प्रकार साल बेचते उन्हे कड़े साल बीत शरद । पुफ यार एनदोने
सोचा--फ्यों न दूर प्रठेगा चलकर रूव सामान चेचा जाय+ नग्पनतरण दे
माल खरीदे जायं । इस बहाने देश-झमण भी होगा ।
दूर-ढेश व्यापार के लिए जाने का विचारकर यवोधिसन्य मे नाना
के बहुत से सामान एकत्र किये । पांच सी गारियों पर उन
इस प्रकार एक महा सार्थवाह ( फाफिला ) फे सार यामी देख ये पोधि-
स्व ने यात्रा गुरू की ।
उसी समय घनारस से दो एफ धार पंजारे फे पुन मे पाय न्य
गाडियों पर सामान लादकर चलने फी सेयारी की । योधिस ये ने सोया+
'घ्गर यद भी मेरे साथ जायगा तो एफ ही रास्ते से एक एयार गाटियों
के जाने के लिए रास्ता काफी न होगा। पयाइमियों फे लिए सूप
बलों के लिए घास-चारा मिलना कठिन हो लायगा । टुसलिए या सो. उसे
गे जाना चाहिए या मुख । *
फेमस कि कं भी
१. जातफ । ५.१,५ शत
न
| न दा
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