भारतीय विचार धारा | Bhartiya Vichar Dhara

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : भारतीय विचार धारा - Bhartiya Vichar Dhara

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आचार्य रामानन्दजी शास्त्री - Aachary Ramanandji Shastri

Add Infomation AboutAachary Ramanandji Shastri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
बद ऊ दोस्थानों का मिला हुआ जल एक हो जाता है ऋग्वेद के ब्यन्तिम सूक्त में एकता का संदेश दिया गया हैं. बताया गया कि समस्त मनुष्यों का मन एक सा हो । सम्पूर्ण संसार को व्यास बनाने का आदेश दिया गया है । बहुत लोग समझते है कि ायी जाति अथवा कोई समुदाय हू जा कक ्न्य जातियों से प्रथक है। परन्तु बेद म आर श्रष्ठ का कहा गया हूं। काहों _ गोरे का कोई भी भेद वेद में नहीं हू।# वरदूविदेश के लिए संकुचि त राष्ट्रीयता वद मे नहीं है। वबंदिक घम मानव घस हे। _ बह विश्व-कल्याण के लिए हूं। इस घसम मे किसी व्यक्ति विशेष के वीछे चलने को नहीं कहा गया हैं। अपितु डुद्ध के प्रशंसा की गयी है। निसक्त में लिखा हैं. ।के जब ऋषि परम्परा नष्ट हो गई तब तकें ही ऋषि बनकर आया ्रौर तक से वेद सन्त्रों का अर्थ होगा । इस प्रकार तक बुद्धि का दर किया गया . है । हिन्दुओं द्वारा गाया हुआ गायत्री मन्त्र बुद्धि की याचना करता है । ज्ञान का आदर करने वाला श्र होता हैं आयें लोग ग्रेष्ठ थे उनका वेद श्रेष्ठ और अल्लुरण आज मी वन ह्आा है । वह पुराना होता हुझा भी नया है. एवं विश्व के लिए एक पहेली विद्वानों के लिए विचार्सीय ्ौर योगियों के लिए मनन करने के योग्य है.। आयें लोगों ने इस का उपजीव्य मान कर गहरे तत्वों का अविष्कार किया आज इतिहास का पुनरावरन हो रहा है. आर्यों के अन्तर्गत नव जीवन का संचार हो. गया ह। भारत बसुन्घरा पुनः वेद मन्त्रों से गुद्लित हो रही है नवयुवका का अभिरुचि बढ़ रही है । निश्चय ही इसकी उज्ज्वल ज्योति बिश्व के प्राज्ञण नननननटकपनागगएं + उन्ये्वासो८कनिष्ठास एते-ऋग्वेद कं ् मिच्स्य चक्षुषी सवाणि भूतानि समी क्षे-यजुवंद




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now