अप्सरा | Apsara
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
265
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्रीदुलारेलाल भार्गव - Shridularelal Bhargav
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)নেহা १९
स्राहब की जेब्र में रख दी। फिर युवती से पूछा-- “आपको
कहाँ जाना है ?”
“मेरी माटर रास्ते पर खड़ा है । उत पर मेरा डाइवर
झोर बूढ़ा अदली बेंठ। द्वोगा । में दवाखोरा के लिये आई
थी। आपने मेती रक्षा का। में सदेव--धदेव आपकी कृतज्नञ
रहूँगी ।”
युवक ने सिर रुका लिया। “आपका शुभ नाम ?” युवती
ने पूछा ।
“नाम बतलाना श्ननावश्यक सममन हरं । श्राप जत्द यहाँ
से चली जायें।”
युवक को कृतज्ञता की सजल दृष्टि से देखती हुई युवती
वल दो | रुककर कुछ कहना चाहा, पर कह न सकी । युवती
फ्रोल्ड के फाटक की ओर चली, युवक हाईकोट की तरक
चला गया | कुछ दूर जाने के बाद् युवती फिर लोटी। युवक
नज़र से बाहर हो गया था। वहीं गई, ओर साहब की जेब
से चिट्टी निकालकर चुयचाप चली आई |
(२)
कनक धीरे-धोरे सखोलहवें वर्ष के पहले चरण में आ
पड़ी । अपार, अलोकिक सोंदर्य, ए्रांत में, कभी-कभी अपनी
मनोहर रागिनी सुना जाता ; वह कान लगा उसके
झमृतरवर को सुनती, पान किया करती । अज्ञात एक
झपूर्ष आनंद का प्रवाह-अंगों को आपाद-मस्तक नहला
User Reviews
No Reviews | Add Yours...