सोवियत संघ में जन शिक्षा | Soviyat Sangh Mein Jan Shiksha

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Soviyat Sangh Mein Jan Shiksha  by मदन लाल - Madanlal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मदन लाल - Madanlal

Add Infomation AboutMadanlal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
किसी भी तरह के विशेषाधिकार, बन्दिशें या दवाव नहीं हैं। सोवियत संघ में जातियों की श्रातत्वपूणं मैत्री श्रौर पारस्परिक विश्वास की परिस्थितियो मे समानाधिकार तथा आ्रापसी समृद्धि के आधार पर जातीय भाषाओं का विकास होता है। संघीय जनतन्त्रो के स्क्लो मे मातृभाषा के साथ-साथ पूर्ण स्वैच्छिक प्राधार पर रूसी भाषा भी सिखाई जाती है। इससे अनुभव के पारस्परिक ग्रादान-प्रदान और हर जाति तथा अल्प जाति को सभी अन्य जातियों की सांस्कृतिक उपलब्धियों तथा विश्व संस्क्रति के सम्पर्क में आने की दृष्टि से मदद मिलती है। रूसी भाषा वास्तव में सोवियत संघ की सभी जातियों के लिये- अन्तरजातीय सम्पर्क और सहयोग की भाषा वन गयी है। सोवियत संघ में लेनिनवादी जातीय नीति को अडिग रूप से अमली शक्ल देने के परिणामस्वरूप समाजवादी जातियां वास्तविक समृद्धि की ओर बढ़ रही हैं। २४वीं पार्टी कांग्रेस में ले० इ० ब्वेज्नेव ने इसी बात पर जोर देकर कहा है कि “समाजवादी निर्माण के सालों में हमारे देश में लोगों के एक नये ऐतिहासिक साझेपन ने जन्म लिया है जिसका नाम है सोवियत जनता ”। सोवियत संघ की सभी जातियां साझे जीवन-हितों से एक परिवार के रूप में सूत्रवद्ध है और मिलकर एक ही लक्ष्य -कम्युनिज़्म - की ओर बढ़ रही हैं। विभिन्‍न जातियों के सोवियत लोगों के समान श्रात्मिक गुण बने हैं, जो नये सामाजिक सम्बन्धों से पैदा हुए हैँ और जिन्होंने सोवियत संघ की जातियों की सर्वश्रेष्ठ परम्पराओं को अपने में जज्ब कर लिया है। इसमें समूची सोवियत शिक्षा-प्रणाली और सर्वप्रथम स्कूल ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अ्रदा की है। यह सब कुछ पूंजीवादी संसार में विद्यमान व्यवस्था से कितना भिन्न है , जहां सामाजिक सम्बन्धों और शिक्षा-क्षेद्र में जातीय और नसली भेदभाव सामाजिक जीवन का विशेष लक्षण है। उदाहरण के लिये सं० रा० अमरीका के सर्वोच्च न्यायालय ने १६५४ में ही स्कूलों मं नसली प्रलगाव के ग्रन्त का निर्णय स्वीकार कर लिया था। किन्तु भ्रभी तक दक्षिणी राज्यों के उन स्कूलों में जहां गोरे बच्चे पढ़ते हैं, नीग्रो लोगों के बहुत ही कम बच्चों को शिक्षा पाने की सम्भावना मिली है। थहां तक कि न्यूयाक॑ में भी गोरों- कालों की शर्मनाक श्रलग-ग्रलग शिक्षा का प्रचलन है। सं० रा० अमरीका के प्रेस के कुछ श्रांकड़ों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में पृथक स्कूलों में १३




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now